फूल चाहे एक हो या उनका गुलदस्ता, सामने आते ही हमारे दिलोदिमाग पर अलग जादू चलाते हैं और हम उन्हें निहारते ही रह जाते हैं। दरअसल यह जादू होता है उस ऋतु का, जो हर तरफ प्रकृति पर मनमोहक असर डाल देती है। वह ऋतु है वसंत।
This story is from the February 2020 edition of Nandan.
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सबसे बुद्धिमान है इनसान
चिनगारी ने आदिमानव को आग जलाना सिखाया | फिर मांस पकाकर खाने की शुरुआत हुई। अपनी सोच-समझ से मनुष्य ने प्राकृतिक वस्तुएं जैसे, आग, पानी और हवा के फायदे जाने। और नदियों व झरनों के किनारे बसना शुरू किया।
साइंस हमारे आसपास
विज्ञान हम सबके जीवन से जुड़ा जरूरी हिस्सा है। कई बार किसी भी चीज को देखकर हम एक धारणा बना लेते हैं। उसे फिर जब साइंस की नजर से देखते हैं, तो उसके पीछे का सत्य जानकर हम हैरान रह जाते हैं। आओ, इन मॉडल के जरिए जानें उन रहस्यों को।
हवा से बातें करती है'मैग्लेव'ट्रेन
जरा सोचो कि तुम एक ऐसी ट्रेन में बैठे हो, जो 800 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से दौड़ रही है और वह भी अपनी पटरी से थोड़ा ऊपर उठकर। यह कोई सपना नहीं, बल्कि मैग्लेव ट्रेन' नामक एक ऐसा सच है, जो चीन और जापान जैसे देशों में साकार हो चुका है औरनिकट भविष्य में हमारे यहां भी दिखाई देगा।
मनु की अंतरिक्ष यात्रा
अंतरिक्ष! मनु को यह शब्द बार-बार अपनी ओर आकर्षित करता। उसने अपनी किताब में पढ़ा था कि कैसे अंतरिक्ष में चीजें बिना किसी रोक-टोक के चलती रहती हैं। ना तो वहां दिन-रात का पहरा है और ना ही किसी दूसरी तरह की रोक-टोक क्लास में टीचरके बनाए अंतरिक्ष के चित्र ने उसके कोमल मन को अपना बना लिया था। वह घर आते-आते अंतरिक्ष के बारे में सोच रहा था। मनु अंतरिक्ष के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना चाहता था।
आजादी के स्मारक
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत 1857 में हुई और इसके 90 साल बाद भारत स्वतंत्र हुआ। इस बीच अनगिनत लोगों ने इस आंदोलन में भाग लिया। भगत सिंह जैसे देशभक्तों ने अपने प्राणों की बाजी लगाई, तो मोतीलाल नेहरू जैसों ने अपना घर इस आंदोलन के नाम कर दिया। कई स्मारक हैं, जो इस आंदोलन की याद आज भी ताजा करते हैं
देशभक्ति की फिल्में
पूरे विश्व में देशभक्ति की फिल्में बनती हैं और पसंद की जाती हैं। खासतौर पर उन देशों में जो कभी न कभी गुलाम रहे हों। देशभक्ति की फिल्में आज के समय में लोगों को याद दिलाती हैं कि इस देश को आजाद कराने के लिए देश के लोगों ने कैसे-कैसे बलिदान दिए हैं।
छोटी-छोटी खुशियां
खुश रहना उतना ही जरूरी है, जितना खाना-पीना। छोटी-छोटी चीजों में खुशी ढूंढ़ना भी एक कला है। खेलते-कूदते तुम बच्चों को अकसर कहते सुना गया है कि मुझे टेंशन हो रही है। आओ बताएं कि जिन लोगों ने देश-दुनिया में अपनी अलग जगह बनाई है, वे बचपन में कैसे खुश रहते थे...
आजादी की खुशी
राजू को पढ़ना, स्कूल जाना, खेलना, नई-नई चीजें खाना, सब पसंद है।पर सबसे ज्यादा पसंद है, मिठू से बोलना, उसे चुग्गा- पानी देना, उसे देखकर खुश होना ।मिठूजी, हां उसके पिंजरे में बंद एक सुंदरसा तोता।स्कूल से आते ही उसे संभालता, जाते वक्त 'टा- टा' कहना नहीं भूलता।
सबसे पहले सीखी चींटियों ने खेती
चींटियों को पानी में रहने में भी महा- रत हासिल होती है। कुछ प्रजातियों की चींटियां पानी की सतह पर चल सकती हैं और कुछ तैर सकती हैं। कुछ पानी में 24 घंटे तक जीवित रह सकती हैं।
हंसी से जीतो दिल
बहुत बड़े से पार्क में कई जानवर चले आ रहे थे, हाथी, शेर, चीता, हिरन व खरगोश । मगरमच्छ, मछलियां भी आई थीं, बहुत से बच्चे भी वहां इकट्ठे थे। सुपरमैन, बैटमैन, शिनचैन भी उधर कोने से निकलकर आ रहे थे।तरह-तरह के जानवर, तरह-तरह के कार्टून चरित्र पार्क में आए थे बच्चों से मिलने, उनसे बातें करने।