Poging GOUD - Vrij
मन के बोझ के भार तले दबा जीवन
Jyotish Sagar
|August 2022
आरम्भ के दो वर्ष तो ऐसे गए कि मैं हर दिन मरती थी, मिटती थी, रात को सो नहीं पाती थी। मेरा कृत्य मुझे जीने नहीं दे रहा था, जिस कारण मैं भाग रही थी, बस भाग रही थी, लेकिन मैंने सब ईश्वर को सौंप दिया है। अब जो भी है, मुझे मंजूर है।
ईरोड़, तमिलनाडु राज्य का एक शहर और उस शहर में कावेरी अपने परिवार की सबसे बड़ी बेटी । कावेरी पढ़ाई-लिखाई में तेज थी और इसी कारण महज 22 वर्ष की आयु में वह द्वितीय श्रेणी अधिकारी भी बन गई और फिर अगले वर्ष (नौकरी लगने के ) कावेरी का विवाह भी एक प्रथम श्रेणी अधिकारी के साथ सम्पन्न हुआ और विवाह के तीन वर्ष बाद कावेरी ने एक पुत्र को जन्म दिया।
कावेरी का जीवन उसे राजयोगों के सभी सुख दे रहा था। पैसे, नाम, शोहरत की कोई कमी नहीं थी और इस तरह कावेरी के 12 वर्ष बीत गए। सब सही चल रहा था, लेकिन एक दिन एक पल की गलती ने कावेरी के जीवन में महापरिवर्तन कर दिया।
एक दिन कावेरी के छुट्टी का दिन था। पति भी कहीं काम से बाहर गए हुए थे। घर में कावेरी की सास और उसका 14 वर्षीय पुत्र ही था। कावेरी से मिलने उसके दफ्तर से एक अधिकारी आए हुए थे। वे गेस्टरूम में थे और कावेरी से बातें कर रहे थे।
सब कुछ सामान्य था। कुछ समय बाद कावेरी के पुत्र ने अचानक गेस्ट रूम का दरवाजा खोला, तो उसने देखा कि उसकी माँ कावेरी उस मेहमान अधिकारी के साथ आपत्तिजनक स्थिति में थी। उस 14 वर्षीय बच्चे ने कावेरी से गुस्से में इतना ही कहा कि माँ तुम गन्दी हो, तुम मर जाओ और इन दो शब्दों ने कावेरी को इतना शर्मिन्दा किया कि उसके जीने का बोझ उससे बर्दाश्त ही नहीं हो पा रहा था।
उसने सदा के लिए घर छोड़ दिया और अरुणाचल पर्वत (तमिलनाडु) पर महर्षि रमन के आश्रम के पास रहने लगी। वहाँ भी मन नहीं लगा, तो वहाँ से हरिद्वार जा पहुँची। उसकी जेब में कोई पैसा नहीं था। उसने सब धन, अधिकार ईरोड़ में ही छोड़ दिए। गंगोत्री के लिए पैदल ही चल दी कि रास्ते में उसे एक गाड़ी में लिफ्ट मिल गई और उस गाड़ी ने उसे उत्तर काशी उतारा। वहाँ से वह फिर पैदल चल दी।
फिर उसे लिफ्ट मिल गई और गंगोत्री पहुँची। लिफ्ट देने वाले ही उसे कुछ खाने को दे देते थे और इस तरह वह गंगोत्री से गौमुख के लिए पैदल सफर कर चुकी थी। रास्ते में उसे एक सन्त का सहयोग मिला, जो उसे वहीं पास के आश्रम में लेकर गया। वहीं पर कावेरी ने भोजन किया।

Dit verhaal komt uit de August 2022-editie van Jyotish Sagar.
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