चुनावी मशीनरी की ओवरहालिंग जीत का मंत्र
DASTAKTIMES
|March 2025
लोकसभा चुनाव के नतीजों से भारतीय जनता पार्टी को बेशक एक सदमा लगा था। 400 पार के जुमले का विपक्ष ने मजाक उड़ाया। आत्ममंथन से पता चला कि जमीनी समर्थकों और कार्यकर्ताओं के मजबूत नेटवर्क में कहीं कोई लीकेज रह गई हो लेकिन वक्त रहते बीजेपी सचेत हो गई। नतीजा हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली आज उसकी जेब में हैं। बीजेपी ने अपनी चुनावी मशीनरी के कील-काटें कैसे दुरस्त किए,
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भारतीय जनता पार्टी संगठन चुनाव में उत्तर प्रदेश की पार्टी जिला अध्यक्षों की सूची 25 जनवरी को जारी होनी थी, लेकिन पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने सूची को जारी होने से रोक दिया। सूची बनाने के लिए कुछ ऐसी पाबंदियां लगाईं जिसके चलते नए सिरे से काम शुरू हुआ। वास्तव में पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व चाहता है कि पार्टी जिला अध्यक्षों के 25 प्रतिशत पद अनुसूचित जाति, जनजाति और महिलाओं को दिए जाएं। यही नहीं, 25 प्रतिशत से अधिक पद पिछड़ों और अति पिछड़ों को दिए जाएं। न केवल जिला अध्यक्षों बल्कि मंडल अध्यक्षों की सूची में भी इसी तरह की पाबंदियां लगाई गईं और लगभग 50 फीसदी से अधिक मंडल अध्यक्ष आरक्षित वर्ग से हैं।
उत्तर प्रदेश के नेता केंद्रीय नेतृत्व के इस कड़े रुख से भौचक्क हैं। आखिर केंद्रीय नेतृत्व ने यह रुख क्यों अपनाया? यह फार्मूला क्यों लागू किया गया ? वास्तव में यह 2024 के लोकसभा चुनाव परिणाम का यह असर है। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व अब सतर्क हो चुका है और वह अपनी हारी बाजी को पलट देना चाहता है। भाजपा नेतृत्व ने अब जो चुनावी रणनीति तैयार की है, उसी का परिणाम है कि भाजपा हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे कठिन चुनाव जीत चुकी है और अब बाजी पलट चुकी है। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जो खोया था, उसे वह मजबूती से वापस ले आई है और विपक्षियों को उसने पीछे ढकेल दिया है।
Dit verhaal komt uit de March 2025-editie van DASTAKTIMES.
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