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आंवला की खेती की उत्तम पैदावार कैसे प्राप्त करें?
Modern Kheti - Hindi
|15th February 2025
आंवला एक महत्वपूर्ण व्यापारिक महत्व का फल वृक्ष है। औषधीय गुण व पोषक तत्वों से भरपूर आंवले के फल प्रकृति की एक अभूतपूर्व देन है। इसका वानस्पतिक नाम एम्बलिका ओफीसीनेलिस है।
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आंवला के फलों में विटामिन 'सी' (500 से 700 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम) तथा कैल्शियम, फास्फोरस, पोटेश्यिम व शर्करा प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। साधारणतया आंवला को विटामिन 'सी' की अधिकता के लिए जाना जाता है। इसमें उपलब्ध टेनिन जैसे गैलिक व इलेजिक अम्ल होता है, जो कि विटामिन 'सी' को आक्सीकरण (आक्सीडेसन) से बचाता है जिससे फलों में विटामिन 'सी' की उच्च मात्रा इनके परिरक्षित करने पर भी बनी रहती है। इसके फलों का उपयोग खाद्य पदार्थ जैसे मुरब्बा, स्कवैश, अचार, कैण्डी, जूस, जैम, आयुर्वेदिक दवाईयां जैसे त्रिफला चूर्ण, च्यवनप्राश, अवलेह, सौन्दर्य सामग्री जैसे आंवला केश तेल, चूर्ण, शेम्पू, इत्यादि बनाने में किया जाता है।
आंवला अनेक रोग जैसे स्कर्वी, कब्ज, अतिसार, श्वेत प्रदर, मधुमेह, कफ, इत्यादि के उपचार में गुणकारी होता है। इसके अतिरिक्त इसका उपयोग स्याही, रीठा, शैंपू इत्यादि बनाने में भी किया जाता है। आंवले के विविध औषधीय व पौष्टिक गुण तथा कठिन जलवायु में पनपने की क्षमता को देखते हुए शुष्क क्षेत्रों में भी इसकी खेती की विपुल संभावना है। आंवला के ग्राफटेड पेड़ मध्यम ऊँचाई वाले एवं एक बार लगाने के पश्चात 40 से 50 वर्ष की उम्र तक फलते फूलते रहते हैं।
आंवला के पेड़ों पर दो प्रकार के प्ररोह या शाखाएं पाई जाती हैं। सीमित तथा असीमित शाखाओं पर सीमित प्ररोह निकलते हैं, जिनकी आयु लगभग एक वर्ष होती है। सीमित शाखाओं पर ही पुष्पन व फलन होता है तथा प्रतिवर्ष पुराने सीमित प्ररोह मार्च से अप्रैल में गिर जाते हैं व इसके तुरन्त बाद नये सीमित प्ररोह निकलते हैं जिन पर उसी समय फूल लगते हैं।
कृषकों को आंवला की बागवानी और देखभाल वैज्ञानिक पद्धति से करनी चाहिए ताकि वो इसकी फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करते रहें।
उपयुक्त जलवायु
आंवला एक शुष्क उपोष्ण (जहां सर्दी एवं गर्मी स्पष्ट रुप से पड़ती है) क्षेत्र का पौधा है। परन्तु इसकी खेती उष्ण जलवायु में भी सफलतापूर्वक की जा सकती है। भारत में इसकी खेती समुद्र तटीय क्षेत्रों से 1800 मीटर ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सफलतापूर्वक की जा सकती है। जाड़े में आंवले के नये बगीचों में पाले का हानिकारक प्रभाव पड़ता है।
भूमि का चयन
Dit verhaal komt uit de 15th February 2025-editie van Modern Kheti - Hindi.
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