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भूमि सुधार के लिए प्रयासों की आवश्यकता...
Modern Kheti - Hindi
|15th February 2025
"यदि पृथ्वी बीमार है तो यह लगभग निश्चित है तो हमारा जीवन भी बीमार है। यदि हम मनुष्य के अच्छे जीवन व स्वास्थ्य की कामना करते हैं तो यह बहुत आवश्यक है कि भूमि के स्वास्थ्य को ठीक करना भी बहुत आवश्यक है, मॉडर्न तकनीकों ने भूमि के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाला है। इस पृथ्वी पर जैसा भी जीवन है यद्यपि स्वस्थ है या अस्वस्थ है यह भूमि की उपजाऊ शक्ति/अर्थात भूमि के स्वास्थ्य पर ही निर्भर करता है क्योंकि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर भोजन पदार्थ धरती में से ही आ रहे हैं। प्रसिद्ध विज्ञानी कारले इस लक्ष्य पर पहुंचा कि कैमिकल फर्टीलाइज़र भूमि के स्वास्थ्य को रासायनिक खादें सुरक्षित नहीं रख सकते। यह रसायन भोजन अथवा भूमि में स्थिर हो जाते हैं सिर्फ कार्बनिक पदार्थ ही भूमि के स्वास्थ्य को बरकरार रख सकते हैं।"
डॉ एलीकस कारले नोबेल अवार्ड विजेता-1912
यदि उपरोक्त दिये गये तथ्यों की ओर दृष्टि डाली जाए तो यह समझ में आता है कि आज अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसानों की ओर से रासायनिक खादों का अधिक प्रयोग करने से भी गेहूं-धान के उत्पादन में कोई प्रत्यक्ष बढ़ोतरी नजर नहीं आ रही बल्कि किसानों की लागतें बढ़ने से कृषि आमदनी में कमी आ रही है। दूसरा भूमि की उपजाऊ शक्ति में कमी आ रही है। यदि रासायनिक खादों से ही उत्पादन बढ़ सकता तो अधिक से अधिक खादों के प्रयोग से उत्पादन में बढ़ौतरी होनी चाहिए थी परन्तु ऐसा नहीं हो रहा, क्यों ? कहीं न कहीं पर कमी अवश्य है। यह कमी किस जगह पर है इस बारे में जानने की आवश्यकता है।
भूमि की उपजाऊ शक्ति बरकरार रखने के लिए यह बहुत आवश्यक हो जाता है कि जैसे हम अपने परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य की ओर ध्यान देते हैं, उसी तरह किसान भाईयों को भूमि सुधार की ओर भी विशेष ध्यान देना पड़ेगा जिससे किसानों के साथ-साथ पूरी मनुष्यता का पेट भर सकता है। भूमि की उपजाऊ शक्ति क्यों घट रही है?
Dit verhaal komt uit de 15th February 2025-editie van Modern Kheti - Hindi.
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