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सूखे चारे को पौष्टिक बनायें, पशुधन को उत्पादक बनायें

Modern Kheti - Hindi

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15th January 2025

पशुपालन एवं डेयरी उद्योग का हमारे देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान है। विश्व भर की कुल गायों का 20 प्रतिशत तथा भैसों का 57 प्रतिशत हमारे देश की धरोहर तो अवश्य है, परन्तु उनकी उत्पादन क्षमता अन्य देशों की तुलना में बहुत कम है।

- डॉ. गजेंद्र सिंह तोमर

सूखे चारे को पौष्टिक बनायें, पशुधन को उत्पादक बनायें

देश के सीमान्त एवं लघु किसान अपने परिवार की आजीविका के लिए पशुधन पर आश्रित हैं। जनसंख्या दबाव, घटती कृषि जोत, सिकुड़ते प्राकृतिक संसाधनों के कारण पशुओं के लिए चारा और पशु चारण क्षेत्रों में निरंतर कमी के चलते अब पशुपालन में अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। वर्तमान में पशुओं का जीवन निर्वाह अपौष्टिक सूखे चारे से हो पा रहा है, जिससे उनकी उत्पादन क्षमता में निरंतर गिरावट देखने को मिल रही है। पशुधन को स्वस्थ और सतत उत्पादनशील बनाये रखने के लिए उनके आहार में पौष्टिक चारे का महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे देश में पशुधन को खिलाये जाने वाले सूखे चारे जैसे गेहूं का भूसा, ज्वार, बाजरा एवं मक्का की कड़वी, धान के पुआल आदि में पौष्टिक तत्व बहुत कम तथा रेशे की अधिक मात्रा होती है। इनका रेशा अधिक कड़ा और लिग्नीफाइड होने के कारण कम पचनीय होता है। इस प्रकार का सूखा चारा खिलाने से पशुधन के शरीर भार में कमी होने के साथ-साथ उनकी उत्पादन क्षमता में भी कमी होती है। उपलब्ध सूखे चारे का उपचार कर बहुत कम खर्चे में इनकी पोषकता एवं गुणवत्ता आसानी से बढ़ाई जा सकती है। हरे चारे की कमी अथवा अभाव में उपचारित सूखे चारे को खिलाने से पशुधन को स्वस्थ और उत्पादक बनाये रखा जा सकता है। सूखे चारे को पौष्टिक बनाने के लिए यूरिया अथवा यूरियाशीरा उपचार विधि का प्रयोग किया जा सकता है।

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