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अपना स्टेटस बनाने के लिए डिजाइनर लेबल की जरूरत नहीं
Dainik Bhaskar Satna
|July 02, 2025
एक फैशन शो की रील पर मेरी नजर पड़ी, जिसमें मॉडल्स ने अजीबोगरीब कपड़े पहने थे। लेकिन पैरों में कोल्हापुरी चप्पल।
जी हां, अपने शुद्ध देसी फुटवियर का स्टेटस बदल गया है। आम आदमी की चहेती यह चप्पल अब आम नहीं, खास है। देखिए, कीचड़-करकट में हमें ना ले जाइए। बस स्टैंड, रिक्शा, ट्रेनइनमें सफर करना हमें अच्छा नहीं लगता। एसी गाड़ी में तो सफर होना ही चाहिए। आप हमें तभी पहनिए जब किसी सहूलियत वाली जगह पर जाना हो। जैसे मॉल, 5 स्टार क्लब।
क्या? क्लब में चप्पल के साथ एंट्री अलाउड नहीं है? छी,छी छी, कितनी पुरानी सोच। देखिए, मैं प्रादा ब्रांड की बेटी हूं, जो इटली में बहुत फेमस है। वैसे तो यह चप्पल इंडिया में 300 की बिकती है, लेकिन हमारा लेबल चिपकाते ही, देखो जादू। अब लोग इसे 30 हजार में खरीदेंगे। जादू हम करते हैं आइटम पर नहीं, कस्टमर के दिमाग पर। मैगजीन में, होर्डिंग पर और रील्स में हम सपनों की दुनिया दिखाते हैं। जहां ग्वारफली के आकार की लड़कियां हमारे कपड़े-जूते पहन कर रैम्प वॉक करती हैं। सपना इसलिए कि एक साल तक सिर्फ ग्वारफली खाओगे, तब भी मॉडल जैसे पतले ना हो पाओगे।
Denne historien er fra July 02, 2025-utgaven av Dainik Bhaskar Satna.
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