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कभी जर्मनी की सबसे असफल ऑटो कंपनी कहलाई पोर्शे, दिवालिया होने से दो बार बची, अब प्रीमियम ब्रांड
Dainik Bhaskar Chhatarpur
|October 24, 2025
साल 1993, पोर्शे लगभग दिवालिया होने वाली थी। सेल्स आधी रह गई थी। हर कार पर कंपनी को घाटा हो रहा था। वेंडेलिन वीडेकिंग को सीईओ के तौर पर लाया गया था। वेंडेलिन ने जापानी इंडस्ट्रियल इंजीनियर चिहिरो नाकाओं को कंपनी की दशा और दिशा सुधारने के लिए निरीक्षण पर बुलाया। चिहिरो पोर्शे की जुफेनहौसेन फैक्ट्री में दाखिल हुए। जैसे ही उन्होंने प्रोडक्शन देखा, उनका चेहरा तमतमा गया। हर जगह आधे-अधूरे पार्ट्स, पुरानी मशीनें, बेकार पड़े कंपोनेंट्स और बिना सिस्टम की मैनुअल असेंबलिंग हो रही थी। वे थोड़ी देर चुप रहे फिर फैक्ट्री मैनेजर से कहा- 'यह फैक्ट्री नहीं, एक गोदाम है'। यह वो लाइन थी, जिसने जर्मन इंजीनियरिंग के 'परफेक्शन' के मिथक पर सीधा प्रहार किया था। पोर्शे कारों के निर्माण का काम इतना अस्त-व्यस्त था कि कार की लागत कई गुना बढ़ रही थी। यही कारण थी कि पोर्शे की कुछ कारों की कीमत अमेरिका के एक औसत मकान के बराबर पहुंच गई थीं। एक समय था कि इसे जर्मनी की सबसे असफल ऑटो कंपनी तक कहा जाने लगा था। हालांकि नेतृत्व में बदलाव और सही रणनीति को अपनाकर पोर्शे न केवल पटरी पर लौटी बल्कि शीर्ष ऑटो कंपनियों में भी शामिल हुई। आज ब्रांड सें सबक में पढ़िए कहानी पोर्शे की।
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वर्तमान स्थिति
अब इसकी मालिक फॉक्सवैगन
2008 की मंदी में इसने फॉक्सवैगन को खरीदने की कोशिश की, इसके लिए 13 अरब डॉलर का कर्ज लिया, लेकिन मंदी में बैंकों ने लोन वापस मांग लिया, जिससे यह दिवालिया होने की स्थिति में पहुंच गई। बाद में फॉक्सवैगन से पैसा लेकर बैंकों को दिया। इसके बाद फॉक्सवैगन ने इसे अपने समूह में शामिल कर लिया। 2024 करीब 4.08 लाख करोड़ रु. का राजस्व कमाया। 3.10 लाख गाड़ियां बेचीं दुनियाभर में। 120 देशों में इसकी गाड़ियां बिकती हैं। भारत में 2024 में 1006 गाड़ियां बेचीं।
सबक क्यों- 1993 में कंपनी को हर कार पर घाटा हो रहा था। अब सालाना हजारों करोड़ डॉलर का राजस्व।
इसलिए पिछड़ी थी पोर्शे
प्रीमियम गाड़ियों के लिए महंगा तरीका-90 के दशक तक पोर्शे ने प्रोडक्शन ढांचे को अपडेट नहीं किया। कर्मचारी छोटे-छोटे पार्ट्स को भी हाथों से कस्टमाइज करते, जिससे प्रति यूनिट लागत बढ़ती गई और मुनाफा कम होता गया।
Denne historien er fra October 24, 2025-utgaven av Dainik Bhaskar Chhatarpur.
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