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वीजा शुल्क बढ़ोतरी से भारत से ज्यादा अमेरिका को ज्यादा नुकसान !
Business Standard - Hindi
|September 29, 2025
आईटी कंपनियों का बढ़ेगा खर्च अमेरिका के एच1बी वीजा शुल्क बढ़ाने से विदेश से आने वाले कामगारों और कंपनियों का खर्च बढ़ेगा।
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यह तकनीकी क्षेत्रों में नई नौकरी पाने वालों की मुश्किलें बढ़ा सकता है। छोटे कारोबार को भी यह भारी पड़ेगा। कुछ लोग इसे देश की सुरक्षा के लिए अच्छा मानते हैं। लेकिन इसका प्रभाव दुनिया भर की नौकरियों, नीतियों और प्रतिस्पर्धा पर पड़ेगा। अतः अमेरिका को सोच-विचार करना चाहिए।
ललित महालकरीइंदौर, मध्य प्रदेश
अमेरिका को महंगी पड़ेगी शुल्क वृद्धि एच1बी वीजा में शुल्क वृद्धि अमेरिका को महंगी पड़ सकती है। इस वीजा पर कार्यरत भारतीय पेशेवरों को संरक्षण दिया जा सकता है और उन्हें भारत लौटने के अवसर मुहैया कराए जाएं। साथ ही उनकी चिंताएं दूर की जाएं। जहां तक वहां अध्ययन में लगे या इसके इच्छुक छात्रों की बात है तो उनका इस शुल्क वृद्धि से अमेरिका से मोहभंग हो जाए तो आश्चर्य नहीं होगा।
हिम्मत जोशीनागपुर, महाराष्ट्र
आईटी कंपनियों का ढांचा होगा प्रभावित एच1बी वीजा शुल्क वृद्धि से आईटी कंपनियों के कारोबारी ढांचे पर गहरा असर पड़ सकता है। इस व्यवस्था से कंपनियां नए आवेदनों से परहेज करने के साथ स्थानीय नागरिकों की भर्तियों पर जोर दे सकती हैं। भारतीय आईटी कंपनियां नए एच1बी आवेदनों से दूरी बनाएंगी और इसकी जगह पर वे ऑफशोर आपूर्ति बढ़ाने या स्थानीय भर्तियां करने पर जोर देंगी।
आशीष सकलेचाजावरा, मध्य प्रदेश
भारत को मंथन करने की जरूरत अमेरिका ने एच1बी वीजा शुल्क बढ़ाकर अपने नागरिकों के रोजगार के हितों की रक्षा करने का प्रयास किया है। एच1बी वीजा शुल्क वृद्धि वहां रह रहे भारतीयों के लिए ही मुसीबत खड़ा नहीं करेगी, अपितु अमेरिका को भी इसका भारी नुकसान उठाना पड़ेगा क्योंकि अमेरिका के विकास के पीछे भारतीय मूल के लोगों का भी बहुत बड़ा योगदान है। अतः भारत को इस पर मंथन करने की जरूरत है।
राजेश कुमार चौहानजालंधर, पंजाब
भारत को जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए अमेरिकी द्वारा एच1बी वीजा शुल्क में भारी वृद्धि ने भारतीय तकनीकी पेशेवरों और संभावित छात्रों के लिए एक नई बड़ी बाधा खड़ी कर दी है। यह निर्णय अमेरिका में काम करने और पढ़ने का सपना लेकर जाने वाले हजारों भारतीयों के लिए वित्तीय बोझ को काफी बढ़ा देगा। ऐसे में भारत सरकार को अमेरिकी आईटी कंपनियों के देश में व्यापार करने पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
Denne historien er fra September 29, 2025-utgaven av Business Standard - Hindi.
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