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भारतीय मसालों का अतीत और वर्तमान
Business Standard - Hindi
|September 29, 2025
भारत का मसाला क्षेत्र लंबे समय से काफी अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। वर्ष 2024-25 में इसने न केवल उत्पादन बल्कि निर्यात में भी नया रिकॉर्ड बनाया है।
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लेकिन इस क्षेत्र के और विस्तार के लिए अभी कुछ कमियां दूर करने की जरूरत है। पिछले एक दशक में मसालों का उत्पादन करीब 60 लाख टन से बढ़कर 1.2 करोड़ यानी दोगुना हो गया है। यही नहीं, इस दौरान निर्यात की मात्रा में 88 फीसदी और मूल्य में 97 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2024-25 में लगभग 4.72 अरब डॉलर मूल्य के 17.9 लाख टन मसालों का निर्यात किया गया।
उत्पादन और निर्यात में यह शानदार वृद्धि न केवल भारत को 'मसालों की भूमि' के रूप में बल्कि वैश्विक स्तर पर अग्रणी उत्पादक एवं निर्यातक के तौर पर इसकी छवि को और मजबूत करती है। यह मसालों की खुशबू ही है जिसने 15वीं शताब्दी के अंत में महान वास्को डी गामा सहित कई खोजकर्ताओं को इस धरती की ओर आकर्षित किया।
लेकिन मसाला क्षेत्र से जुड़े विश्लेषक मौजूदा स्थिति से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हैं। उनका स्पष्ट कहना है कि मसालों के उत्पादन और कारोबार को सुदृढ़ करने के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है। अनुकूल जलवायु, वार्षिक एवं बारहमासी मसाला फसलों को उगाने की लंबी परंपरा, सकारात्मक सरकारी नीतियां और तेजी से बढ़ती अंतरराष्ट्रीय मांग जैसे तमाम महत्वपूर्ण पहलू इस व्यवसाय की संभावनाओं के पंख खोल रहे हैं। विश्लेषकों का
कहना है कि देश का मसाला बाजार वर्तमान में अनुमानित लगभग 2 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर आने वाले पांच वर्षों में 5 लाख करोड़ रुपये या उससे भी अधिक हो सकता है।
Denne historien er fra September 29, 2025-utgaven av Business Standard - Hindi.
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