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तरक्की के 25 साल युवा उत्तराखंड

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November - 2025

ठीक पच्चीस साल पहले 9 नवंबर, 2000 को जब उत्तराखंड अविभाजित उत्तर प्रदेश से अलग होकर भारत का 27वां राज्य बना तो उत्तराखंड के आसमान पर उत्साह और जोश के साथ आशंकाओं के तमाम बादल घिरे थे।

- रामकुमार सिंह

तरक्की के 25 साल युवा उत्तराखंड

दुर्गम पहाड़ों से घिरे छोटे से राज्य को अपने पांव पर खड़ा होना था। उत्तराखंड के गठन के बाद वहां अब तक करीब दस मुख्यमंत्री हुए। सबने अपनी काबिलियत से इस राज्य को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दिया। उत्तराखंड की विकास यात्रा के बीते 25 सालों में एनडी तिवारी के बाद पुष्कर सिंह धामी सबसे लंबे वक्त तक सीएम रहे। बीते कुछ सालों में राज्य में इतने काम हुए कि आज उत्तराखंड तरक्की के नए शिखर छू रहा है। उत्तराखंड के 25 सालों में हुए काम पर देहरादून से 'दस्तक टाइम्स' के प्रधान संपादक रामकुमार सिंह की एक रिपोर्ट।

नित्यानंद स्वामी उत्तराखंड राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने। तब उत्तराखंड का नाम उत्तरांचल था। स्वामी हरियाणा में जन्में जरूर थे लेकिन उन्होंने अपना लगभग सारा जीवन देहरादून में बिताया, जहां उनके पिता भारतीय वानिकी संस्थान में कार्यरत थे। मुख्यमंत्री के रूप में उन्हें ज्यादा वक्त नहीं मिला। लेकिन उन्होंने देहरादून को राज्य प्रशासन का केंद्र बनाया और उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की नींव रखी, जिससे स्थानीय युवाओं के लिए अवसर बढ़े। उनके बाद भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड के सीएम बने। वे आरएसएस से जुड़े नेता थे। एक साधारण और सादगी भरा जीवन जीकर उन्होंने एक मिसाल कायम की। पहाड़ियों के विकास, वनों के संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा में उनकी गहरी आस्था थी। उत्तराखंड की पहली पर्यटन नीति उन्होंने ने ही पेश की, जिसका मकसद राज्य में विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा विकसित करना, निजी क्षेत्रों को आकर्षित करना और नए पर्यटन स्थलों की पहचान करना था। ये उन्हीं की देन है कि उत्तराखंड आज देश के सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थलों में गिना जाता है।

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इस वर्ष साहित्य के प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार से हंगरी लेखक लास्जलो क्रास्जनाहोरकाई को उनके उपन्यास 'हर्ट 07769' के लिए नवाज़ा गया है। उन्हें यह सम्मान उनकी दूरदर्शी कृति के लिए मिला। उनकी रचनाएं, विशेषकर 'सियोबो देयर बिलो', चीन और जापान की यात्राओं से प्रेरित हैं, जो नश्वरता और सौंदर्य के गहरे विचारों को उजागर करती हैं। लास्ज़लो को आधुनिक साहित्य के सबसे कठिन, लेकिन गहराई वाले लेखकों में शुमार किया जाता है। उनकी लेखनशैली लंबी, विचारपूर्ण और दार्शनिक वाक्यों के लिए मशहूर है। कई बार एक वाक्य पूरी किताब जितने लंबे हो जाते हैं। उनकी भाषा में निराशा, हास्य और अस्तित्व की बेचैनी का मिलीजुला रूप नज़र आता है। पढ़िए, लास्जलो क्रास्जनाहोरकार्ड की रचनाशैली और उनकी कुछ रचनाओं के बारे में

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