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कैसे रुकेगी उत्तराखंड के जंगलों की आग!

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May 2025

गर्मी बढ़ने के साथ उत्तराखंड के हरे-भरे जंगल एक बार फिर आग की लपटों की चपेट में आ रहे है। वन विभाग ने फॉरेस्ट फायर अलर्ट सिस्टम को अपग्रेड किया है। ड्रोन, सैटेलाइट इमेजरी, और जीआईएस आधारित तकनीकों का उपयोग कर आग की घटनाओं की जानकारी तुरंत मिल रही है। उत्तराखंड सरकार ने इस आपदा से निपटने के लिए पहले से कहीं अधिक सक्रिय और बहुस्तरीय रणनीति अपनाई है। क्या यह रणनीति कामयाब होगी? देहरादून से वरिष्ठ पत्रकार गोपाल सिंह पोखरिया की एक रिपोर्ट।

- गोपाल सिंह पोखरिया

कैसे रुकेगी उत्तराखंड के जंगलों की आग!

उत्तराखंड के लिए गर्मियों का मौसम वनाग्नि के लिहाज से बेहद संवेदनशील माना जाता है। भारतीय वन सर्वेक्षण की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर 2023 से जून 2024 तक उत्तराखंड में जंगल की आग की 21 हजार से अधिक घटनाएं दर्ज की गईं, जो देश में सर्वाधिक थीं। इस साल फायर सीजन (15 फरवरी से मानसून तक) में अभी तक वनाग्नि की छिटपुट घटनाएं ही सामने आई हैं लेकिन अगले कुछ महीने संवेदनशील हो सकते हैं। इसलिए उत्तराखंड सरकार ने इस आपदा से निपटने के लिए पहले से कहीं अधिक सक्रिय और बहुस्तरीय रणनीति अपनाई है। आग को नियंत्रित करने के लिए सरकार कई नए प्रयोग कर रही है। इनमें इंटिग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर, फॉरेस्ट फायर उत्तराखंड मोबाइल ऐप और सैटेलाइट मॉनिटरिंग शामिल हैं। सड़कों के किनारे से पिरूल यानी सूखी चीड़ की पत्तियों को हटाने के लिए मशीनरी का उपयोग किया जा रहा है ताकि आग फैलने का खतरा कम हो। उत्तराखंड के जंगलों में आग कोई नई बात नहीं है। वन विभाग ने 1 नवंबर 2024 से शुरू होने वाले इस फायर सीजन में 22 मार्च 2025 तक के अपने जारी आंकड़ों में बताया है कि गढ़वाल क्षेत्र में कुल 15 घटनाएं हुई हैं, वहीं 17.02 रिजर्व फॉरेस्ट हेक्टेयर एरिया इससे प्रभावित हुआ है। वन पंचायत और सिविल सोयम क्षेत्र में 6 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। इसके अलावा गढ़वाल क्षेत्र में 2.5 हेक्टर प्लांटेशन एरिया प्रभावित हुआ है।

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