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चुनाव तक किस करवट बैठेगा नीतीश का ऊंट

DASTAKTIMES

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February 2025

इस साल बिहार में विधानसभा का चुनाव होने वाले हैं और सत्ता के सिंहासन पर पहुंचने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सभी दलों के लिए जरूरी हैं। लालू चाहते हैं कि नीतीश भाजपा का साथ छोड़कर उनकी तरफ आ जाएं, जबकि भाजपा यह अच्छी तरह समझती है कि वह अकेले दम पर राज्य में जीत हासिल कर अभी सरकार बनाने की हालत में नहीं है।

- दिलीप कुमार

चुनाव तक किस करवट बैठेगा नीतीश का ऊंट

कड़ाके की इस ठंड के मौसम में बिहार की राजनीति में गर्माहट है। यह गर्माहट इसलिए है कि चुनावी साल है और सियासी शतरंज बिछाने के लिए यह बिलकुल माकूल वक्त है। न केवल पूरे बिहार में बल्कि देशभर में नीतीश कुमार के एक बार फिर पलटी मारने की चर्चा तेजी से चल रही है। नीतीश कुमार ने इसे भले ही सिरे से नकार दिया हो लेकिन बार-बार उनके पलटने की छवि को देखते हुए सियासी गलियारे में कहा जा रहा है कि नीतीश का कोई भरोसा नहीं। पिछली बार भी वे इसी तरह ना-नुकर कर रहे थे और जनवरी 2023 में वे अचानक महागठबंधन छोड़ भाजपा के साथ आ गए थे। इससे पहले, अगस्त 2022 में भी वह यही किस्सा दोहरा चुके हैं। नीतीश कुमार ने जब भाजपा साथ छोड़ राजद के साथ मिलकर महागठबंधन की सरकार बनाई तो उनकी छवि सुशासन बाबू से पलटू राम की बन गई। खुद भाजपा नेताओं को उन पर यकीन नहीं। उनकी कसमों और गलती न दोहराने के वादों पर अब कोई भरोसा नहीं कर रहा। चुनाव तक ऊंट किस करवट बैठेगा. यह कोई नहीं जानता।

इस साल राज्य में विधानसभा का चुनाव होने वाला है और सत्ता के सिंहासन पर पहुंचने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सभी दलों के लिए जरूरी हैं। लालू चाहते हैं कि नीतीश भाजपा का साथ छोड़कर उनकी तरफ आ जाए, जबकि भाजपा यह अच्छी तरह समझती है कि वह अपने दम पर अभी राज्य में जीत हासिल कर सरकार बनाने की हालत में नहीं है। गृहमंत्री अमित शाह ने गैरजरूरी बयान देकर हलचल मचा दी। उन्होंने कहा कि हम चुनाव के बाद मिल-बैठकर तय करेंगे कि बिहार का मुख्यमंत्री कौन होगा? जाहिर है इस बयान को जदयू ने सहजता से नहीं लिया। इसके बाद भाजपा नेता व उप मुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने कहा था कि कार्यकर्ताओं ने बिहार को जंगलराज से मुक्त कराया है, लेकिन मिशन अभी पूरा नहीं हुआ है। जब तक राज्य में भाजपा की अपनी सरकार नहीं बनती, तब तक हम अटल जी को सच्ची श्रद्धांजलि नहीं दे पाएंगे। यानी खुद बिहार का उपमुख्यमंत्री राज्य में सरकार को अपनी सरकार नहीं मानता क्योंकि मुख्यमंत्री जदयू के नेता नीतीश कुमार हैं।

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इस वर्ष साहित्य के प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार से हंगरी लेखक लास्जलो क्रास्जनाहोरकाई को उनके उपन्यास 'हर्ट 07769' के लिए नवाज़ा गया है। उन्हें यह सम्मान उनकी दूरदर्शी कृति के लिए मिला। उनकी रचनाएं, विशेषकर 'सियोबो देयर बिलो', चीन और जापान की यात्राओं से प्रेरित हैं, जो नश्वरता और सौंदर्य के गहरे विचारों को उजागर करती हैं। लास्ज़लो को आधुनिक साहित्य के सबसे कठिन, लेकिन गहराई वाले लेखकों में शुमार किया जाता है। उनकी लेखनशैली लंबी, विचारपूर्ण और दार्शनिक वाक्यों के लिए मशहूर है। कई बार एक वाक्य पूरी किताब जितने लंबे हो जाते हैं। उनकी भाषा में निराशा, हास्य और अस्तित्व की बेचैनी का मिलीजुला रूप नज़र आता है। पढ़िए, लास्जलो क्रास्जनाहोरकार्ड की रचनाशैली और उनकी कुछ रचनाओं के बारे में

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प्रशांत किशोर की पहली अग्निपरीक्षा

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