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|May 2024
समाजसेवी अन्ना हजारे का आंदोलन अरविंद केजरीवाल के जीवन का बहुत बड़ा टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ क्योंकि अरविंद केजरीवाल ने यहां से राजनीतिक उड़ान भरी। साल 2013 में हुए दिल्ली के चुनावों में आम आदमी पार्टी को 28 सीटों पर जीत मिली और आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी लेकिन जिस भ्रष्टाचार के खिलाफ केजरीवाल राजनीति में आए, उसी भ्रष्टाचार में लिप्त पाये जाने पर जेल के सलाखों के पीछे हैं।
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देश के सफल आंदोलन का हिस्सा बनने के बाद राजनीति में भी बड़ी कामया मिलना और फिर सलाखों के पीछे तक पहुंच जाना अपने आप में बहुत अनोखा किस्सा है। इस किस्से के मुख्य किरदार हैं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जिन्होंने कुछ साथियों के साथ मिलकर 2 अक्टूबर, 2012 में आम आदमी पार्टी का गठन किया। भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े हुए अन्ना हजारे के आंदोलन से जन्मी ये पार्टी आज देश की राष्ट्रीय पार्टी बन जाएगी, शायद इसका भान उस समय कम ही लोगों को रहा हो लेकिन आज यह हकीकत है। हालांकि समाजसेवी अन्ना हजारे और आंदोलन से जुड़े कुछ लोगों का मानना था कि केजरीवाल को राजनीति में नहीं आना चाहिए, लेकिन आईआरएस अधिकारी रहे अरविंद केजरीवाल व उनके साथ के कुछ लोगों की राय अलग थी। ये राजनीति में आकर राजनीति बदलने की बात कहते हुए आगे बढ़ गए और इस राह में उन्हें तरक्की भी मिली।
समाजसेवी अन्ना हजारे का आंदोलन अरविंद केजरीवाल के जीवन का बहुत बड़ा टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ क्योंकि अरविंद केजरीवाल ने यहां से राजनीतिक उड़ान भरी। साल 2013 में हुए दिल्ली के चुनावों में आम आदमी पार्टी को 28 सीटों पर जीत मिली और सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। इस चुनाव में केजरीवाल ने दिल्ली की मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित को बड़े अंतर से हराया था। कांग्रेस के समर्थन से केजरीवाल ने 49 दिनों की सरकार चलाने के बाद इस्तीफा दे दिया। एक साल बाद 2015 में फिर चुनाव हुए। इस चुनाव में केजरीवाल ने और मजबूती के साथ वापसी करते हुए 70 में से 67 सीटें जीतीं। 14 फरवरी 2015 में अरविंद केजरीवाल दूसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बन गए।
Denne historien er fra May 2024-utgaven av DASTAKTIMES.
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