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अगड़ों के सहारे पिछड़ों की सियासत चमकाती बीजेपी
DASTAKTIMES
|December 2023
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की नाराजगी ने बढ़ाई सियासी सरगर्मी

उत्तर प्रदेश में बीजेपी की पिछड़ा सियासत के बड़े खिलाड़ी और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को भी इस बात का अहसास हो रहा है कि बीजेपी आलाकमान और योगी सरकार उनके साथ यूज एंड थ्रो' वाली राजनीति कर रही है। इसी के चलते वह आजकल अपनी ही सरकार और संगठन (बीजेपी) से नाराज चल रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी जो कभी अगड़ों की राजनीति करती थी, उसने पिछले दो-तीन दशक में अपना चाल, चरित्र और चेहरा काफी बदल लिया है। अब उसे अगड़ों के साथ दलित और पिछड़ों के वोटों की भी दरकार रहती है। दलितों और पिछड़ों को अपने पाले में लाने के लिए बीजेपी ने सबसे पहले उत्तर प्रदेश को इसकी 'प्रयोगशाला' बनाया था। यह उस दौर की बात थी जब समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रमुख मुलायम सिंह यादव अपने आप को पिछड़ों का और बसपा सुप्रीमो मायावती दलितों का मसीहा समझती थीं। बीजेपी ने हिन्दुत्व के नाम पर इनके वोट बैंक में सेंधमारी की, जिसका परिणाम यह हुआ कि यूपी में कल्याण सिंह जैसा पिछड़ा समाज का नेता उभर कर आया। कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे थे। आज भी कल्याण सिंह के सरकार चलाने की क्षमता का लोग लोहा मानते हैं लेकिन यूपी बीजेपी में सभी पिछड़े समाज के नेताओं का भाग्य कल्याण सिंह जैसा नहीं रहा। बीजेपी में लोध समाज से आने वाले कल्याण सिंह सबसे बड़े ओबीसी नेता के तौर पर उभरे थे तो इसी समय प्रेमलता कटियार, विनय कटियार, रमापति शास्त्री, ओम प्रकाश सिंह जैसे नेता मंडलकमंडल दोनों की राजनीति में कोई खास फिट बैठे या कहें अगड़ों की पार्टी में यह नेता कहीं न कहीं 'पिछड़' गये। वैसे बता दें कि कल्याण सिंह जैसे बड़े नेता को भी कई बार पार्टी के भीतर अपमानित होना पड़ा था। एक बार तो उन्होंने पार्टी तक छोड़ दी थी।
Denne historien er fra December 2023-utgaven av DASTAKTIMES.
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