सनातन धर्म अजन्मा न कोई आदि न अंत
DASTAKTIMES
|October 2023
धर्म एक है, यही सनातन धर्म है। इसे वैदिक धर्म भी कहते हैं और हिन्दू धर्म भी इसका विकास वैदिक दर्शन से हुआ है। यह सतत् विकासशील है। इसमें कालवाह्य छूटता जाता है, नया कालसंगत जुड़ता जाता है। वैदिक साहित्य में धर्म के लिए ऋत शब्द का प्रयोग भी हुआ है। प्रकृति की गतिविधि में सुसंगत व्यवस्था है। यही ऋत है। वैदिक समाज में प्रकृति की शक्तियों की गतिविधि के प्रति आदर भाव है। जीवन जगत के रहस्यों के प्रति जिज्ञासा भी रही है। जिज्ञासा, प्रश्न व संशय धर्म के विकास में सहायक रहे हैं। रिलीजन या पंथ मजहब धर्म नहीं हैं। वे विश्वास हैं। रिलीजन या मजहब के विश्वासों पर प्रश्न संभव नहीं है।
सनातन धर्म राष्ट्रीय बहस का मुद्दा है। कुछ लोगों द्वारा सनातन धर्म को अपमानित किया जा रहा है, यह अनुचित है। अस्तित्व भी सनातन है। सदा से है, सदा रहता है। इसका न आदि है और न अंत। अस्तित्व का अणु परमाणु एक सुसंगत व्यवस्था में गतिमान है। वेदों में ब्रह्माण्ड के इस संविधान का नाम 'ऋत' है। ऋत विधान भी सदा से है, इसलिए सनातन है। 'सनातन' का अर्थ है जो सदा से है और जिसका आदि और अंत नहीं है। प्रकृति की प्रत्येक इकाई का गुण धर्म होता है। जल का धर्म रस, अग्नि का ताप और स्पर्श वायु का धर्म है। मनुष्य का धर्म लोकमंगल के कर्तव्य हैं। अस्तित्व के संविधान का नाम है सनातन धर्म सनातन धर्म भारत का धर्म है। इसका ध्येय लोकमंगल है। सनातन धर्म का विकास वैदिक काल से भी पहले हुआ। वैदिक काल के दार्शनिक ऋषि प्रकृति और मनुष्यों के स्वाभाविक परिवेश के प्रति जिज्ञासु रहे हैं। उन्होंने देखा कि अस्तित्व नियमबंधन में है। उन्होंने प्राकृतिक नियमों को ऋत सत्य और धर्म आदि नाम दिये। धर्म एक है, यही सनातन धर्म है। इसे वैदिक धर्म भी कहते हैं और हिन्दू धर्म भी। इसका विकास वैदिक दर्शन से हुआ है। यह सतत् विकासशील है। इसमें कालवाह्य छूटता जाता है, नया कालसंगत जुड़ता जाता है। वैदिक साहित्य में धर्म के लिए ऋत शब्द का प्रयोग भी हुआ है। प्रकृति की गतिविधि में सुसंगत व्यवस्था है। यही ऋत है। वैदिक समाज में प्रकृति की शक्तियों की गतिविधि के प्रति आदर भाव है। जीवन जगत के रहस्यों के प्रति जिज्ञासा भी रही है। जिज्ञासा, प्रश्न व संशय धर्म के विकास में सहायक रहे हैं। रिलीजन या पंथ मजहब धर्म नहीं हैं। वे विश्वास हैं। रिलीजन या मजहब के विश्वासों पर प्रश्न संभव नहीं है। धर्म सत्य है। सत्य धर्म है। प्रश्न और जिज्ञासा सत्य प्राप्ति के महत्वपूर्ण उपकरण हैं।
Denne historien er fra October 2023-utgaven av DASTAKTIMES.
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