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कांग्रेस को यूपी में उभार की आस

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August 2023

कांग्रेस करीब तीन दशकों से यूपी में उभार की उम्मीद लगाए बैठी है, लेकिन उसके हालात सुधरने की बजाए बिगड़ते जा रहे हैं। आज की तारीख में तो न उसके पास संगठन बचा है और न नेता न वोटर। यही वजह है कांग्रेस यूपी में गर्दिश में चली ही गई है। अब कहा जा रहा है कि कांग्रेस के इस गर्दिश के दिनों को कांग्रेस की महासचिव प्रियंका वाड्रा गांधी दूर करेंगी।

- मंजू सक्सेना

कांग्रेस को यूपी में उभार की आस

उत्तर प्रदेश में कभी नेहरू-गांधी खानदान की सियासी फसल खूब लहलहाया करती थी। चुनाव कोई भी हो, वोट और सीटों से कांग्रेस की झोलियां भर जाती थीं। इससे कांग्रेस के लिए प्रदेश से लेकर केन्द्र तक के लिए सत्ता की रास्ता निकलता था। नेहरू से लेकर इंदिरा और राजीव गांधी तक यूपी से ही चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे थे। गांधी परिवार के अन्य सदस्यों में संजय गांधी, सोनिया गांधी, मेनका गांधी और उसके बाद राहुल एवं वरुण गांधी तक ने संसद में जाने के लिए यूपी को ही चुना था। रायबरेली, अमेठी, इलाहाबाद की फूलपुर लोकसभा सीट से नेहरू-गांधी परिवार का लम्बा रिश्ता रहा, लेकिन समय के साथ उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए बस कुछ बदल गया। अब वही उत्तर प्रदेश कांग्रेस के लिए बंजर मरुस्थल बन गया है। अब यहां न कांग्रेस की सीटें आती हैं, न वोट मिलता है। स्थिति यह है कि कांग्रेस यूपी में सोनिया गांधी की एक मात्र रायबरेली संसदीय पर सिमट गई है। कहने को तो गांधी परिवार से ताल्लुक रखने वाली मेनका गांधी और वरुण गांधी भी यूपी से सांसद हैं, लेकिन वह कांग्रेस की जगह भारतीय जनता पार्टी से चुने गए हैं। कांग्रेस से यूपी दूर हुआ तो दिल्ली भी दूर होते देरी नहीं लगी। कभी कांग्रेस का मजबूत वोट बैंक समझे जाने वाले दलित-अगड़े- पिछड़े और मुसलमान वोटर भाजपा और क्षेत्रीय दलों सपा-बसपा के बीच बंट गए हैं। इसी के साथ गांधी परिवार के लिए यूपी गले की फांस बन गया है। न वह इसे निगल पा रही है ना ही उगलते बन रहा है। वैसे कुछ लोग यह भी कहते हैं यूपी में जिस कांग्रेस को राहुल गांधी ने डुबोया है, उसे प्रियंका गांधी फिर से जीवनदान देंगी। 

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