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जनजाति समाज को तोड़ने का वैश्विक षड्यंत्र

DASTAKTIMES

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September 2022

विश्व मजदूर संगठन (आएलओ) एक संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्थापित संस्था है। मजदूरों के अधिकारों की रक्षा करना इस संस्था का प्रमुख हेतु है। इसकी स्थापना 1919 में प्रथम विश्व युद्ध के विजयी देशों ने की थी। वर्ष 1989 में आएलओ द्वारा राइट्स ऑफ इंडिजिनस पीपल कन्वेन्शन क्रमांक 169 घोषित किया गया, जिसे विश्व के 189 में से केवल 22 देशों ने स्वीकार किया, जिसका मुख्य कारण इंडिजिनस पीपल शब्द की परिभाषा को स्पष्ट न करना था।

- लक्ष्मण राज सिंह मरकाम

जनजाति समाज को तोड़ने का वैश्विक षड्यंत्र

भारत के वन क्षेत्र 21 प्रतिशत भाग का 60 प्रतिशत हिस्सा जनजातीय है। भारत में मुख्य खनिज लगभग 90 प्रतिशत जनजातीय क्षेत्र में है। भारत की जनसंख्या का लगभग 8 प्रतिशत हिस्सा जनजातीय समाज है। क्या इस जनजातीय समाज को भारत के विरुद्ध खड़ा करने का कोई वैश्विक षड्यंत्र चल रहा है? वर्तमान परिस्थिति का ठीक तरह से अगर हम विश्लेषण करेंगे तो गंभीरता से सोचने के लिए हमें मजबूर होना पड़ता है। पिछले कुछ वर्षों से मनाए जाने वाला 9 अगस्त का विश्व मूल निवासी दिवस कही इस वैश्विक षड्यंत्र का हिस्सा तो नहीं, इस बात पर हमें विचार करने की आवश्यकता है।

इससे पहले मूल निवासी इस संकल्पना के इतिहास के बारे हम कुछ जानकारी समझने की कोशिश करेंगे। विश्व मजदूर संगठन (आएलओ) एक संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्थापित संस्था है। मजदूरों के अधिकारों की रक्षा करना इस संस्था का प्रमुख हेतु है। इसकी स्थापना 1919 में प्रथम विश्व युद्ध के विजयी देशों ने की थी। वर्ष 1989 में आएलओ द्वारा राइट्स ऑफ इंडिजिनस पीपल कन्वेन्शन क्रमांक 169 घोषित किया गया, जिसे विश्व के 189 में से केवल 22 देशों ने स्वीकार किया, जिसका मुख्य कारण इंडिजिनस पीपल शब्द की परिभाषा को स्पष्ट न करना था। इस संधि में हस्ताक्षर करने वाले वे देश मुख्य थे जिनकी आज भी उपनिवेशिक कालोनिया हैं और जहां बड़ी संख्या में वहां के मूल निवासी दूसरे दर्जे की नागरिकता का जीवन जी रहे हैं। भारत ने भी इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए। मूल निवासी इस संकल्पना का संदर्भ भारत से नहीं हैं और भारत में रहने वाले सभी लोग यहां के मूल निवासी हैं, यह भूमिका स्पष्ट करते हुए, आएलओ मूल निवासियों के जिन अधिकारों की बात कर रहा है, उससे कही अधिक अधिकार भारत के संविधान ने यहां रहने वाले सभी लोगों को प्रदान किए हैं, यह भारत सरकार की भूमिका रही है।

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