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सपने और राक्षस
Champak - Hindi
|October First 2025
“10 दिन मौजमस्ती के थे,” प्रोइति होंठों पर मुसकान लिए घर की ओर दौड़ी. दुर्गा पूजा की तैयारी चल रही थी और शहर खुशियां मनाने के लिए पूरी तरह सज चुका था. प्रोइति ने मेज से मिठाई उठाई और उस का आनंद लेते हुए सोचने लगी कि पहले कौन सा पंडाल देखना है. उस ने अपनी सहेली चित्रा, देबोजीत और फिर अंत में शामा को फोन किया. उन की तरफ से उसे बारबार एक ही जवाब सुनाई दिया कि वे घर से बाहर पूजा पंडाल देखने निकली हैं.
प्रोइति अपनी सहेलियों की बेरुखी से बिफर पड़ी थी. आखिर उन्होंने उसे अपने ग्रुप में शामिल क्यों नहीं किया?
घर के मुख्य दरवाजे पर उस ने अपना गुस्सा निकाला. उस ने उस पर जोर से लात मारी तो दरवाजा हिलने लगा. प्रोइति अकेले ही पंडालों को देखने के लिए घर से बाहर निकली, लेकिन उस का अकेले निकलना भी ज्यादा बुरा नहीं रहा. उसे थिएटर में नाटक देखना बहुत पसंद आया. नाटक दुर्गा द्वारा रूप बदलने में माहिर राक्षस महिषासुर को हराने पर आधारित था.
उस रात प्रोइति अपने बिस्तर पर करवटें बदल रही थी. सपने में एक राक्षस उस के शरीर को झकझोर देने वाली आवाजों को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर उस पर हमले कर रहा था. वह एक गोलाकार कमरे में खड़ी थी, जिस में हर आकारप्रकार के दरवाजे थे. कमरे में दीवारों से ज्यादा दरवाजे थे. वहां एक राक्षस था, जो दरवाजों को नियंत्रित कर रहा था. दरवाजा खुलता और फिर धड़ाम की आवाज के साथ बंद हो जाता. बारबार खुलता और धड़ाम... धड़ाम... धड़ाम इतनी तेज गति से आवाज करता कि पूरा कमरा एक हिलती हुई झोंपड़ी जैसा लग रहा था.
अगले दिन स्कूल में प्रोइति ने देखा कि उस की सहेली देबोजीत, चित्रा और शामा बेफ्रिक हो कर साथ खड़ी हंस रही थीं. मानो पिछली रात उन्होंने उसे अपने ग्रुप में शामिल कर रखा हो. “हा... हा... हो...हो...हे... हे...” बस दिन भर बकबक और खिलखिलाहट.
शायद पिछली रात ठीक से सो न पाने के कारण प्रोइति को झपकी आ गई और वह फिर से एक विचित्र स्वप्न में उलझ गई.
इस बार वह एक अष्टकोणीय कमरे में थी. कमरे के 8 कोनों में 8 स्पीकर लगे थे, जो जोरजोर से बज रहे थे और हर तरफ से अपशब्द सुनाई दे रहे थे. जिस कमरे में वह खड़ी थी, वह पल भर में भद्दे शब्दों से गूंज रहा था.
Denne historien er fra October First 2025-utgaven av Champak - Hindi.
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