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माइक्रोप्लास्टिक के कारण गिर सकती है गेहूं- धान और मक्का की पैदावार
Modern Kheti - Hindi
|15th April 2025
क्या आपने कभी सोचा है कि प्लास्टिक के महीन कण जिन्हें माइक्रोप्लास्टिक के नाम से जाना जाता है वो पौधों को किस हद तक प्रभावित कर सकते हैं।
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पौधों पर इसके प्रभावों का कृषि पैदावार और हमारे जीवन पर क्या असर पड़ेगा ? इन सवालों के जवाब की खोज में किए एक नए हैरान कर देने वाले अध्ययन से पता चला है कि माइक्रोप्लास्टिक पौधों में प्रकाश संश्लेषण यानी फोटोसिंथेसिस को बाधित कर रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय शोधकर्ताओं द्वारा किए इस अध्ययन से पता चला है कि वैश्विक स्तर पर माइक्रोप्लास्टिक पौधों की प्रकाश संश्लेषण की क्षमता को 12 प्रतिशत तक कम कर सकता है, जो बेहद हैरान कर देने वाला है।
शोध के मुताबिक इसका सीधा असर कृषि पैदावार पर भी पड़ रहा है, जो दुनिया भर में खाद्य सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। बता दें कि प्रकाश-संश्लेषण (फोटोसिंथेसिस) वह प्रक्रिया है जिसके जरिए पौधे सूर्य की रोशनी से कार्बन डाइऑक्साइड और पानी को ग्लूकोज में बदलते हैं। इस तरह पौधे अपना भोजन बनाते हैं। इस प्रक्रिया में जहां पौधे कार्बन डाइऑक्साइड को ग्रहण करते हैं, वहीं ऑक्सीजन भी बनती है, जिसे पौधे वातावरण में मुक्त कर देते हैं। प्रकाश-संश्लेषण को 'फोटोकैमिकल प्रोसैस्स' भी कहा जाता है। यह न केवल पौधों बल्कि शैवालों और कुछ बैक्टीरिया को भी अपना भोजन हासिल करने में मदद करती है। इस प्रक्रिया में पत्तों में मौजूद क्लोरोफिल नामक हरे रंग का पिगमेंट भी मदद करता है। इस दौरान पौधे अपनी जड़ों के जरिए मिट्टी से पानी भी ग्रहण करते हैं। ऐसे में इस प्रक्रिया के दौरान जहां पौधों को भोजन मिलता है, साथ ही ऑक्सीजन भी पैदा होती है, जो जीवन के लिए बेहद आवश्यक है। इतना ही नहीं यह प्रक्रिया पृथ्वी पर कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को नियंत्रित करने में भी मदद करती है। यह अध्ययन नानजिंग विश्वविद्यालय, चाइनीज, यूनिवर्सिटी ऑफ चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज, यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स के साथसाथ चीन, अमेरिका और जर्मनी के शोधकर्ताओं के एक दल द्वारा किया गया है। अध्ययन में यह भी सामने आया है कि प्लास्टिक के यह महीन कण न केवल धरती पर बल्कि समुद्रों और मीठे पानी के पारिस्थितिकी तंत्र में भी प्रकाश संश्लेषण को बाधित कर रहे हैं। इसका मतलब है कि न केवल जमीन पर पाए जाने वाले पौधों पर इसका असर पड़ रहा है, बल्कि समुद्रों और मीठे पानी में उगने वाले पौधें भी इसकी वजह से प्रभावित हो रहे हैं।
Denne historien er fra 15th April 2025-utgaven av Modern Kheti - Hindi.
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