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पॉलीटनल में सब्जी पौध तैयार करना
Modern Kheti - Hindi
|15th December 2024
देश में व्यवसायिक सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने में सब्जियों की स्वस्थ पौध उत्पादन एक महत्वपूर्ण विषय है जिस पर आमतौर से किसान कम ध्यान देते हैं।
एक अनुमान के अनुसार पौधशाला में सब्जी पौधों की औसतन क्षति 20-27 प्रतिशत होती है लेकिन कई बार यह क्षति 70-85 प्रतिशत तक हो जाती है। राजस्थान के विभिन्न सब्जी उत्पादक क्षेत्रों के सर्वेक्षणों से ज्ञात होता है कि अभी भी 60-70 प्रतिशत किसान सब्जियों की पौध खुले वातावरण में उगाते हैं। सब्जियों की पौध खुले वातावरण में उगाने से कई प्रकार की समस्यायें आती हैं। इन समस्याओं में बीज का जमाव कम होना, जमाव उपरांत पौधों की समुचित विकास में कमी, पौध तैयार होने में अधिक समय का लगना इत्यादि प्रमुख है। यदि किसान उन्नतशील प्रजाति अथवा हाइब्रिड का चयन करें समय पर बुआई/ रोपाई करें तो सब्जी की वर्तमान औसत उत्पादकता को दो गुना तक बढ़ाया जा सकता है।
पॉलीटनल तकनीक क्या है: पॉलीटनल तकनीक सब्जी पौध उगाने की सबसे सस्ती, कारगर एवं व्यावहारिक तकनीक है। इस तकनीक से पौध उगाने पर बीज का जमाव समुचित ढंग से होता है। जमाव के उपरांत पौधों का विकास बेहतर होता है तथा पौधों के कठोरीकरण (हार्डनिंग) में सहायता मिलती है। पॉलीटनल तकनीक से पौध उगाकर खेत में रोपाई करने से पौधों की मृत्युदर नहीं के बराबर होती है। इस तकनीक का सबसे बड़ा लाभ यह है कि विपरीत मौसम में (अधिक गर्मी व ठंड के समय) भी सही पौध सफलतापूर्वक तैयार की जा सकती है, जबकि खुले वातावरण में अधिक ठंड के समय पौध लगाना असम्भव होता है क्योंकि लगातार ठंड एवं गर्मी के कारण बीज का जमाव बहुत कम होता है।
Denne historien er fra 15th December 2024-utgaven av Modern Kheti - Hindi.
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