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अमरूद में कीट एवं रोग की रोकथाम कैसे करें
Modern Kheti - Hindi
|15th December 2022
अमरूद में फलों का गलन, सफेद फफूंद की वृद्धि एवं पत्तियों का मध्यशिरे के दोनों ओर से भूरा होकर झुलसना इस रोग के मुख्य लक्षण हैं। यह रोग वर्षा के मौसम में फल के केलिक्स (पुटक) भाग पर होता है। प्रभावित भाग पर सफेद रूई जैसी बढ़वार फल पकने के साथ-साथ 3 से 4 दिन में पूरी फल की सतह पर फैल जाती है।
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भारतवर्ष में अमरूद एक लोकप्रिय फल है। अमरूद के आर्थिक व व्यापारिक महत्व की वजह से किसानों का रुझान इसकी तरफ काफी बढ़ रहा है, लेकिन दूसरी ओर जलवायु परिवर्तन के कारण तरह-तरह की नई समस्याओं जिनमें कीट एवं रोग, जड़ गांठ सूत्रकृमि, पोषक तत्वों की कमी आदि की जानकारी के अभाव में किसानों को अत्यधिक नुकसान हो रहा है। इन सभी तथ्यों को समावेशित करते हुये अमरूद में कीट एवं रोग तथा अन्य समस्याओं के संबंध में किसानों को जानकारी तथा समाधान को उल्लेखित किया गया है।
कीट एवं रोकथाम
फलमक्खी: फल की छोटी अवस्था में ही मक्खी उस पर बैठकर अपने अंडे छोड़ देती है तथा जो बाद में बड़ी होकर सुंड़ी का रूप धारण कर लेती है और अमरुद के फलों को खराब कर देती है, जिससे फल सड़कर गिर जाते है।
रोकथाम:
1. मिथाईल यूजिनल ट्रेप (100 मिलीलीटर मिश्रण में 0.1 प्रतिशत मिथाइल यूजिनोल व 0.1 प्रतिशत मैलाथियान) पेडों पर 5 से 6 फीट ऊँचाई पर लगायें। एक हैक्टेयर क्षेत्र में 10 ट्रेप पर्याप्त होते हैं। ट्रेप के मिश्रण को प्रति सप्ताह बदल दें। फल मक्खी को ट्रेप से विशेष प्रकार की आकर्षित करने वाली गंध आती है। इसको कली से फल बनने के समय पर ही बगीचों में उचित दूरी पर लगा देना चाहिए।
2. शीरा या शक्कर 100 ग्राम को एक लीटर पानी के घोल में 10 मिलीलीटर मैलाथियॉन 50 ई सी मिलाकर प्रलोभक तैयार कर 50 से 100 मिलीलीटर प्रति मिट्टी के प्याले में डालकर जगह जगह पेडों पर टांग दें।
3. मैलाथियॉन 50 ई सी का एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
छाल भक्षक कीट: इस कीट के प्रकोप का अंदाजा पौधों पर इसकी पहचान चायनुमा अपशिष्ट, लकड़ी के टुकड़े तथा अनियमित सुरंग की उपस्थिति से होता है। इसकी लटें अमरुद की छाल, शाखाओं व तना विशेषकर जहां दो शाखाओं का जुड़ाव होता है। वहां पर छेद करके अंदर छिपी रहती है तथा रेशमी धागों से लकड़ी के बुरादे व अपने मल से बने रक्षक आवरण के नीचे खाती हुई टेढ़ी-मेढ़ी सुरंग बना देती है। इससे प्रभावित पौधा कमजोर व शाखायें सूख जाती हैं।
Denne historien er fra 15th December 2022-utgaven av Modern Kheti - Hindi.
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