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एक दिन मन्ना डे
Shaikshanik Sandarbh
|July - August 2020
छियासी यासी बरस के मन्ना डे उस दिन शहर में आए थे। जीवनकाल में ही अमर हो चुके अपने अनेक गीतों को गाने के लिए। कार्यक्रम का ज़्यादा प्रचार नहीं हुआ लेकिन धीरे-धीरे खबर फैलती गई कि मन्ना डे शहर में आज गाना गाएँगे।

आमंत्रण पत्र से प्रवेश था। फिर भी रवीन्द्र भवन पूरा भर चुका था। सीढ़ियों पर, गैलरी में, रास्ते में लोग बैठे हुए थे या खड़े थे। सब उम्मीद कर रहे थे कि मन्ना डे इस उमर में भी कम-से-कम चार-छः गीत तो गाएँगे ही। लेकिन उन्होंने लगभग ढाई घण्टे तक गाया और पच्चीसतीस गीत गाए। सब लोगों ने नॉस्टेल्जिक अनुभूतियों के साथ, खुशी जताते हुए, तालियाँ बजाते हुए उन्हे
Denne historien er fra July - August 2020-utgaven av Shaikshanik Sandarbh.
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