Gå ubegrenset med Magzter GOLD

Gå ubegrenset med Magzter GOLD

Få ubegrenset tilgang til over 9000 magasiner, aviser og premiumhistorier for bare

$149.99
 
$74.99/År

Prøve GULL - Gratis

Gå ubegrenset med Magzter GOLD

Gå ubegrenset med Magzter GOLD

Få ubegrenset tilgang til over 9000 magasiner, aviser og premiumhistorier for bare

$NaN
 
$NaN/År

Skynd deg, tilbud i begrenset periode!

0

Timer

0

minutter

0

sekunder

.

समय के विरुद्ध - समय के विरुद्ध

filled-star
समय  के विरुद्ध

Gå ubegrenset med Magzter GOLD

Lese समय के विरुद्ध sammen med 9000+ andre magasiner og aviser med bare ett abonnement  

Se katalog

1 måned

$14.99

1 år $149.99

$74.99

$6/month

Save 50%
Hurry, Offer Ends in 14 Days

(OR)

Abonner kun på समय के विरुद्ध

Kjøp denne utgaven: समय के विरुद्ध

undefined problemer som starter fra समय के विरुद्ध

undefined problemer som starter fra समय के विरुद्ध

Kjøp denne utgaven

$3.99

Please choose your subscription plan

Avbryt når som helst.

(Ingen forpliktelser) ⓘ

Hvis du ikke er fornøyd med abonnementet, kan du sende oss en e-post på help@magzter.com innen 7 dager etter abonnementets startdato for full refusjon. Ingen spørsmål - lover! (Merk: Gjelder ikke for enkeltutgavekjøp)

Digitalt abonnement

Øyeblikkelig tilgang ⓘ

Abonner nå for å begynne å lese umiddelbart på Magzter-nettstedet, iOS, Android og Amazon-appene.

Verifisert sikker

betaling ⓘ

Magzter er en verifisert Authorize.Net-forhandler. Les mer

I dette nummeret

सुरेश स्वप्निल की कविताओं में बदलते समय का प्रभाव भी है और समय के साथ न बदल पाई अडिग निजता भी। वे निजता और प्रतिबद्धता के बीच के कवि थे और कवि होने के साथ - साथ एक नाटककार और नाट्य निर्देशक भी थे। अपनी शुरुआत में वे एक बेहद उत्साही नौजवान थे। उस दौर के नौजवान, जब भारत में प्रगतिशील - जनवादी और क्रान्तिकारी शक्तियाँ उफान पर थी एक साथ कई मोर्चे पर सक्रिय थे, सुरेश भी उस आंदोलन में पूरे होसले के साथ कूद पड़े और उनकी सक्रियता सिर्फ लेखन तक सीमित नहीं थी उन्होंने एक के बाद एक चार नाटक लिखे और उन्हें मंचित करने के लिए एक नाट्यदल का भी गठन किया। वे लोगों से जुड़ते भी जा रहे थे और लोगों को जोड़ते भी जा रहे थे। उनके लिखे नाटकों का मध्यप्रदेश के कई शहरों में मंचन हुआ। अपनी इन उपलब्धियों के आधार पर वे चाहते तो एक नाटककार या एक नाट्य निर्देशक के रूप में करियर बना सकते थे, लेकिन उनकी मूल प्रकृति कैरियरिज्म के खिलाफ थी।

समय के विरुद्ध Description:

सुरेश स्वप्निल की कविताओं में बदलते समय का प्रभाव भी है और समय के साथ न बदल पाई अडिग निजता भी। वे निजता और प्रतिबद्धता के बीच के कवि थे और कवि होने के साथ - साथ एक नाटककार और नाट्य निर्देशक भी थे। अपनी शुरुआत में वे एक बेहद उत्साही नौजवान थे। उस दौर के नौजवान, जब भारत में प्रगतिशील - जनवादी और क्रान्तिकारी शक्तियाँ उफान पर थी एक साथ कई मोर्चे पर सक्रिय थे, सुरेश भी उस आंदोलन में पूरे होसले के साथ कूद पड़े और उनकी सक्रियता सिर्फ लेखन तक सीमित नहीं थी उन्होंने एक के बाद एक चार नाटक लिखे और उन्हें मंचित करने के लिए एक नाट्यदल का भी गठन किया। वे लोगों से जुड़ते भी जा रहे थे और लोगों को जोड़ते भी जा रहे थे। उनके लिखे नाटकों का मध्यप्रदेश के कई शहरों में मंचन हुआ। अपनी इन उपलब्धियों के आधार पर वे चाहते तो एक नाटककार या एक नाट्य निर्देशक के रूप में करियर बना सकते थे, लेकिन उनकी मूल प्रकृति कैरियरिज्म के खिलाफ थी।

Relaterte titler

Populære kategorier