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Dainik Bhaskar Shahdol - June 23, 2025

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Dainik Bhaskar Shahdol
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Dainik Bhaskar Shahdol Description:

Dainik Bhaskar is present in 2 states in Hindi language in Madhya Pradesh and in Maharashtra. More than 25 year old flagship Hindi newspaper of Bhaskar Prakashan Group Only Hindi newspaper to have clear leadership in all its major markets with well diversified readership across various states Spread in 2 states with 7 editions and 43 district sub- editions Bhaskar Prakashan Pvt Ltd newspapers has an average daily readership of 1.85 million readers.

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June 23, 2025

30 लाख दिव्यांगों को हक क्यों नहीं दे रहे?

एक दिन पहले ही बिहार ने दिव्यांगों को मिलने वाली पेंशन 700 रुपए बढ़ाकर 1100 रुपए कर दी। हालांकि, मध्य प्रदेश में दिव्यांग अब भी अपने हक के लिए लड़ रहे हैं। प्रदेश के 30 लाख से अधिक दिव्यांगों को उनके हक की पेंशन तक नहीं मिल रही है। सरकार उन्हें हर माह 600 रुपए पेंशन देती है, जबकि कानूनन कम से कम 1562 रुपए तो मिलने ही चाहिए। खुद हाई कोर्ट सरकार को नियमों के अनुसार दिव्यांग पेंशन देने का आदेश जारी कर चुका है। सत्ताधारी भाजपा ने भी 2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान अपने घोषणा पत्र में भी दिव्यांगों को 1500 रुपए हर महीने देने का वादा किया था, लेकिन इसे अब तक पूरा नहीं किया गया है। मप्र की तुलना में आंध्र प्रदेश में 6000 रुपए प्रतिमाह तक पेंशन दी जा रही है। भास्कर ने राष्ट्रीय दिव्यांगजन नीति मसौदा समिति के सदस्य और पिछले 15 साल से बौद्धिक दिव्यांगों के अधिकारों को लेकर काम कर रहे डॉ. पंकज मारू को एक्सपर्ट के रूप में शामिल कर इस पूरे मुद्दे पर रिसर्च की।

1 mins

कानून के मुताबिकः हर माह 1562 पेंशन मिलनी चाहिए हकीकत : मप्र में सिर्फ ₹600 दे रहे, आंध्र में ₹6000

एक दिन पहले ही बिहार ने दिव्यांगों को मिलने वाली पेंशन 700 रुपए बढ़ाकर 1100 रुपए कर दी। हालांकि, मध्य प्रदेश में दिव्यांग अब भी अपने हक के लिए लड़ रहे हैं। प्रदेश के 30 लाख से अधिक दिव्यांगों को उनके हक की पेंशन तक नहीं मिल रही है। सरकार उन्हें हर माह 600 रुपए पेंशन देती है, जबकि कानूनन कम से कम 1562 रुपए तो मिलने ही चाहिए। खुद हाई कोर्ट सरकार को नियमों के अनुसार दिव्यांग पेंशन देने का आदेश जारी कर चुका है। सत्ताधारी भाजपा ने भी 2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान अपने घोषणा पत्र में भी दिव्यांगों को 1500 रुपए हर महीने देने का वादा किया था, लेकिन इसे अब तक पूरा नहीं किया गया है। मप्र की तुलना में आंध्र प्रदेश में 6000 रुपए प्रतिमाह तक पेंशन दी जा रही है। भास्कर ने राष्ट्रीय दिव्यांगजन नीति मसौदा समिति के सदस्य और पिछले 15 साल से बौद्धिक दिव्यांगों के अधिकारों को लेकर काम कर रहे डॉ. पंकज मारू को एक्सपर्ट के रूप में शामिल कर इस पूरे मुद्दे पर रिसर्च की।

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सिंदुरसी में 10 लाख की लागत से बनाया पंचायत गार्डन

विकास कराने के इरादे अगर मजबूत हों और विकास सही दिशा में किया जाए तो वह निश्चित ही लोगों के काम आता है। कुछ ऐसा ही विकास कार्य हुआ है बहोरीबंद जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत सिंदुरसी में। कैमूर पर्वत की पहाड़ी पर बसे इस गांव में मैदानी एरिया कम है। ज्यादातर हिस्सा बड़ी- बड़ी चट्टानों से घिरा हुआ है। ग्राम पंचायत की सरपंच सुलोचना लक्ष्मी महतो ने बताया कि ग्राम पंचायत में सार्वजनिक कार्य करने के लिए सौंदर्य से परिपूर्ण कोई जगह नहीं थी। लोगों को शादी पार्टी करने के लिए बहोरीबन्द में महंगे मैरिज गार्डन बुक करने पड़ते थे। बड़े लोगों के लिए यह कोई समस्या नहीं है, लेकिन मध्यम और गरीब परिवार वालों के लिए यह समस्या पहाड़ जैसी लगती थी। तभी मन विचार आया कि क्यों न ग्राम पंचायत में ही सौन्दर्गीकरण कराकर इसे ही बारात घर की तरह बनाया जाए। फिर जनपद जाकर सीईओ से बात की। सीईओ द्वारा स्थान देखने के बाद तुरंत अनुमति प्रदान कर दी गई।

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