जीवनशैली ठीक तो सब ठीक
Panchjanya|March 12, 2023
कोल्हापुर स्थित श्रीक्षेत्र सिद्धगिरि मठ में आयोजित पंचमहाभूत लोकोत्सव का समापन 26 फरवरी को हुआ। इस सात दिवसीय लोकोत्सव में लगभग 35,00,000 लोग शामिल हुए। इन लोगों को पर्यावरण को बचाने का संकल्प दिलाया गया
विमल कुमार सिंह
जीवनशैली ठीक तो सब ठीक

पंचमहाभूतों को आधार बनाकर पिछले लगभग एक वर्ष से देशभर में जो अभियान चल रहा है, उसमें श्रीक्षेत्र सिद्धगिरि मठ की प्रमुख भूमिका रही है। कनेरी गांव में स्थित होने के कारण कुछ लोग इसे कनेरी मठ भी कहते हैं। महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में स्थित यह मठ लगभग 1,500 वर्ष पुराना है। इस मठ का प्रभाव मुख्यतः महाराष्ट्र, कर्नाटक और गोवा में है। यहां के लोग कई पीढ़ियों से इस मठ से जुड़े हुए हैं। इसके 49वें मठाधिपति स्वामी अदृश्य काडसिद्धेश्वर जी पंचमहाभूत अभियान से प्रारंभ से ही जुड़े रहे हैं। 20 से 26 फरवरी तक उनके नेतृत्व में पंचमहाभूत लोकोत्सव का आयोजन किया गया। इस लोकोत्सव में लोगों ने जिस उत्साह के साथ भागीदारी की, वह अद्वितीय है। कोल्हापुर और उसके आसपास के जिलों से तो लगभग हर घर से इस आयोजन में लोग सम्मिलित हुए। कर्नाटक और गोवा से भी लोग बड़ी संख्या में आए। एक अनुमान के अनुसार इन सात दिन में लगभग 35,00,000 लोग लोकोत्सव में शामिल हुए। राष्ट्रीय स्तर पर इस इसकी बहुत चर्चा नहीं हो पाई लेकिन महाराष्ट्र, कर्नाटक और गोवा में इसकी पूरी धूम रही। पंचमहाभूत लोकोत्सव का घोष वाक्य था- 'जीवनशैली ठीक तो सब ठीक।' इससे पता चलता है कि लोकोत्सव की सोच कितना गहरा है। वास्तव में आज पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन की जिस समस्या से जूझ रही है, उसके मूल में विकास का वह विकृत प्रारूप है, जिसमें अधिकाधिक उपभोग को ही श्रेष्ठ जीवनशैली का पर्याय मान लिया गया है। दुनिया के विकसित देश अपने नागरिकों की इस जीवनशैली को बनाए रखना चाहते हैं, भले ही इसके चलते धरती का सर्वनाश हो जाए। 1992 के रिओ सम्मेलन में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश ने साफ-साफ कह दिया था कि वे अमेरीकियों की जीवनशैली पर कोई समझौता नहीं करेंगे। 

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