सिलक्यारा-बड़कोट की सुरंग से बचाए गए 41 मजदूरों में विशाल कुमार सबसे छोटा है। उसकी उम्र बस 19 साल है । वह घटना उसके जेहन में दुःस्वप्न बनकर पैबस्त हो चुकी है। घर लौटने के कई दिन बीत जाने के बाद भी ये मजदूर उस त्रासदी के बारे में सोच कर आज भी सिहर उठते हैं। मंडी जिले के भंगोट गांव में घर आ चुके विशाल याद करते हैं, “शुरू के कुछ घंटे तो बहुत डरावने थे। मलबा लगातार गिर रहा था, बचने का कोई रास्ता नहीं था। निकलने का रास्ता पूरी तरह ढंक गया था। मैंने खुद से कहा, लगता है उन्नीस बरस में ही काम तमाम।"
दिवाली की सुबह 12 नवंबर को सुरंग ढही तो हर ओर अफरातफरी मच गई। कुमार बताते हैं कि मलबा गिरते ही ऑक्सीजन सप्लाई कट गई। विशाल कहते हैं, "उन पलों को शब्दों में नहीं बताया जा सकता। मैंने वहां महीने भर पहले ही काम शुरू किया था। वहां कुछ मजदूर बहुत अनुभवी थे। उन्होंने कहा, मलबे से दूर हट जाओ और कहीं और सुरक्षित जगह चलो। उन अनुभवी मजदूरों ने पानी निकालने वाली पाइप को तोड़ दिया ताकि ऑक्सीजन आती रहे। इससे थोड़ी उम्मीद बंधी कि अब किसी का दम नहीं घुटेगा। अगले छत्तीस घंटे हम न्यूनतम ऑक्सीजन, पानी और बाकी संसाधनों पर जीवित रहे, जब तक कि बाहर के लोगों को एहसास नहीं हो गया कि हम जिंदा हैं और हमें मदद चाहिए।"
この記事は Outlook Hindi の January 08, 2024 版に掲載されています。
7 日間の Magzter GOLD 無料トライアルを開始して、何千もの厳選されたプレミアム ストーリー、8,500 以上の雑誌や新聞にアクセスしてください。
すでに購読者です ? サインイン
この記事は Outlook Hindi の January 08, 2024 版に掲載されています。
7 日間の Magzter GOLD 無料トライアルを開始して、何千もの厳選されたプレミアム ストーリー、8,500 以上の雑誌や新聞にアクセスしてください。
すでに購読者です? サインイン
जौनपुर
इतिहास की गोद में ऊंघता-सा एक शहर है, उत्तर प्रदेश का जौनपुर। पुराने शहरों के साथ अक्सर ऐसा होता है कि वे किसी मील के पत्थर से यू टर्न लें और सभ्यता की सामान्य दिशा से उल्टी दिशा में चल पड़ें।
समय की गति की परख
इस संग्रह का महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि कवि यहां अस्तित्ववाद के प्रश्नों से रूबरू होते हैं। निजी और वृहत्तर तौर पर जीवन को इस विमर्श के घेरे में लाकर कवि अस्तित्व से संबंधित प्रश्नों का उत्तर पाने का प्रयास करता है।
प्रकृति का सान्निध्य
वरिष्ठ कवयित्री सविता सिंह का नया संग्रह ‘वासना एक नदी का नाम है’ स्त्री-विमर्श को नई ऊंचाई पर ले जाता है।
आजाद तवायफ तराना
तवायफों पर आई नई वेबसीरीज हीरामंडी ने फिर कोठेवालियों और देवदासियों के साथ हिंदुस्तानी सिनेमा के रिश्तों की याद दिलाई
अगला द्रोण कौन
टीम इंडिया में अर्जुन तो बहुत, उन्हीं को संवारने के लिए एक ऐसे कोच की तलाश, जो टीम को तकनीकी-मानसिक मजबूती दे सके
ममता दीदी की दुखती रग
इस चुनाव में अपनी पार्टी के नेताओं का भ्रष्टाचार ही ममता की सबसे बड़ी चुनौती
हवा का रुख दोतरफा
ईडी की कार्रवाइयों और जनता के मुद्दों पर टिका है चुनाव
तीसरी बारी क्यों
विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भ्रष्टाचार और संविधान बदलने तथा आरक्षण खत्म करने का आरोप लगाकर देश की जनता को गुमराह नहीं कर सकता
क्या बदलाव होने वाला है?
इस बार उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव में सवर्णों को अपने धर्म और वर्चस्व की चिंता दिख रही है, तो अवर्ण समाज के दिल को संविधान और लोकतंत्र का मुद्दा छू रहा
किस ओर बैठेगा जनादेश
बड़े राज्यों में कांटे के मुकाबले के मद्देनजर 4 जून को नतीजों के दिन ईवीएम से निकलने वाला जनादेश लगातार तीसरी बार एनडीए को गद्दी सौंपेगा या विपक्षी गठजोड़ 'इंडिया' के पक्ष में बदलाव की बानगी लिखेगा, यह लाख टके का सवाल देश की सियासत की अगली धारा तय करेगा