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मन को रसपूर्ण बनाते हैं गीत-संगीत
DASTAKTIMES
|April 2023
गीत संगीत और नृत्य से भारतीय सांस्कृतिक साहित्य का अंग-अंग भरा पूरा है। नारद निले पात्र हैं। वे बिना किसी वाहन के सभी लोकों की यात्रा करते हैं और वीणा लेकर विश्व भ्रमण करते हैं। भारतीय दर्शन के अनुसार प्रकृति की शक्तियां भी नाचती हैं। पृथ्वी सूर्य के चारों ओर नाचते हुए परिक्रमा करती है। ऋग्वेद में सोम देवता के लिए कहा गया है कि सोमरस नाचते हुए कलश में गिरता है। ऋग्वेद के अनुसार सृष्टि सृजन के समय देवता भी नाच रहे थे।

गीत और संगीत मनुष्य मन को रसपूर्ण बनाते हैं लेकिन दोनों में एक आधारभूत अंतर भी है। गीत का अर्थ होता है। अर्थ बुद्धि के माध्यम से मूल शब्दों के भाव को प्रकट करता है। गीत भी ध्वनि है, लेकिन उसका अर्थ बौद्धिक कार्रवाई से निकलता है। संगीत में ध्वनियों का प्रयोग होता है। प्राचीन भारतीय संगीत परंपरा में ध्वनि के अल्पतम अंश को भी सरस ढंग से प्रस्तुत किया जाता रहा है। षड्ज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत और निषाद शास्त्रीय संगीत के आधारभूत सुर हैं। संक्षेप में इन्हें सा, रे, ग, म, प, ध और नि, षा कहते हैं। शास्त्रीय संगीत परंपरा में राग हैं। प्रत्येक राग की सम्बंधित रागिनियाँ हैं। प्रत्येक राग में गाने का सुनिश्चित समय भी है। हिन्दू पूर्वजों ने नृत्य को भी शास्त्रीयता के अनुशासन में बाँधा है। नृत्य में गीत संगीत के साथ शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों का भी प्रयोग होता है। जान पड़ता है कि नृत्य का विकास नाट्य कला के विकास के बाद का है। भरत मुनि ने नाट्यशास्त्र में बताया है कि, 'प्राचीन काल में नाटकों के मंचन के बाद नाट्य शिल्पी शिव के पास गए। उन्होंने नाटकों का विवरण सुनाया।' शिव ने कहा कि, 'आप का काम अच्छा है लेकिन इसमें नृत्य नहीं है।' शिव ने सुझाव दिया कि वे उनके नृत्य का सदुपयोग कर सकते हैं। भारतीय नृत्य परंपरा प्राचीन है। नृत्य कला में नर्तक अपने अंतर्जगत के भावों को देह पर प्रकट करता है। नृत्य के चरम पर नर्तक स्वयं नहीं बचता। वह नृत्य में खो जाता है। नर्तक नृत्य बन जाता है। भारतीय सिनेमा में नृत्य कला के उत्कृष्ट प्रयोग हुए हैं। 'आजा नचले' फिल्म में माधुरी दीक्षित का नृत्य मोहक के साथ मादक भी है। ऐसे ही हाल ही में एसएस राजामौली की बहुभाषीय फिल्म 'आरआरआर' के लोकप्रिय गाने 'नाटू नाटू' की अंतर्राष्ट्रीय चर्चा है।
このストーリーは、DASTAKTIMES の April 2023 版からのものです。
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