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विश्वास के संकट से जूझती पत्रकारिता
DASTAKTIMES
|November 2022
एक वह दौर था जब किसी समाचार पत्र का मालिक या संपादक अपने आपको राजनीति से बिल्कुल दूर रखता था। सरकार एवं शासन-प्रशासन के सामने नतमस्तक नहीं होता था। अक्सर कई राजनीतिक और रूतबेदार लोग समाचार पत्रों के कार्यालय पहुंच जाया करते थे, लेकिन संपादक ऐसे लोगों से मिलने के लिए अपने रूम से बाहर नहीं आते थे। उलटे आगंतुकों को संपादक के कमरे में जाकर हाजिरी लगाना पड़ती थी। ऐसा होता था संपादक का कद और पद।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फेक न्यूज को लेकर चिंतित होना व्यर्थ नहीं है। उन्होंने फेक न्यूज से समाज और देश को होने वाले खतरों को लेकर आगाह किया है। यही बात तमाम बुद्धिजीवी और अदालतें भी समय-समय पर कहती रही हैं। करीब 2 महीने पहले देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने भी भड़काऊ और नफरती भाषण के मुद्दे पर टीवी चैनलों को कड़ी फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा, चैनलों पर बहस बेलगाम हो गई है। नफरती टिप्पणियों पर रोक लगाने की जिम्मेदारी एंकर की है, पर ऐसा नहीं हो रहा है। शीर्ष अदालत ने पूछा, टीवी न्यूज से फैलने वाली नफरत पर केन्द्र सरकार मूकदर्शक क्यों है? उस समय जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस ऋषिकेश राय की पीठ ने कहा था कि आजकल एंकर अपने मेहमानों को बोलने की अनुमति नहीं देते हैं। उन्हें म्यूट कर देते हैं और अभद्र भी हो जाते हैं। यह सब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर हो रहा है। दुख की बात है कि कोई उन्हें जवाबदेह नहीं बना रहा है। सत्ताधीशों के मूकदर्शक बने रहने से विचलित देश की शीर्ष अदालत ने टीवी न्यूज चैनलों की नफरत फैलाने वाली बहसों पर अंकुश लगाने को शीघ्र कदम उठाने को कहा है। इन डिबेटों को हेट स्पीच फैलाने का जरिया मानते हुए वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पीठ ने चैनलों समेत मीडिया की भूमिका पर यह टिप्पणी की थी। इसी क्रम में गत दिनों फेक न्यूज को बेहद खतरनाक बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके खिलाफ देश के लोगों को आगाह किया। गृहमंत्रियों के चिंतन शिविर को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि फेक न्यूज के कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं। एक फर्जी खबर राष्ट्रीय चिंता का विषय बनने की क्षमता रखती है। इस पर लगाम कसने के लिए देश को उन्नत तकनीक पर जोर देना होगा। निश्चित रूप से पत्रकारिता के गिरते स्तर से किसी भी जागरूक नागरिक या संस्था का चिंतित होना लाजमी है।
このストーリーは、DASTAKTIMES の November 2022 版からのものです。
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