Gambhir Samachar - September 1, 2021
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news magazine which covers various type of matters
तालिबानी तलब
भारत ने कभी भी तालिबान को मान्यता नहीं दी है. इससे पहले भी जब उनकी सरकार थी तब भी भारत ने, राजनयिक भाषा में जिसे कहते हैं एंगेज' करना, वो कभी नहीं किया. सिर्फ एक बार, जब इंडियन एयरलाइन्स के विमान का चरमपंथियों ने अपहरण कर लिया था और उसे कंधार ले गए थे, तब पहली और आखिरी बार भारत ने तालिबान के कमांडरों से औपचारिक बातचीत की थी. फिर भारत ने हमेशा खुद को तालिबान से दूर ही रखा.
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अयोध्या और बामियान को एक ही चश्मे से देखने वाले हैं कौन?
अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के ढांचे को तोड़े जाने और अफगानिस्तान के शहर बामियान में भगवान बुद्ध की मूर्तियों को करीब दो दशक पहले ध्वस्त करने की घटना को एक ही चश्मे से देखने वाले अब खुलकर सामने आने लगे हैं. अफगानिस्तान में अराजकता, लूटपाट और कत्लेआम के बाद यह सब कुछ भी हो रहा है. ये वही लोग हैं जो भारत में लोकतंत्र को मजबूत करने की वकालत करते हैं और अफगानिस्तान में तालिबान के साथ खड़े नजर आ रहे हैं. इन्हें सुप्रीम कोर्ट के राम मंदिर विवाद पर आए ऐतिहासिक फैसले पर भी आपत्ति है. मतलब साफ है कि अगर कोई फैसला इनके मुताबिक नहीं होता तो ये तुरंत ही विरोध में खड़े हो जाते हैं.
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खत्म हो अंग्रेजी कानून बने एक नई संहिता
स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी के भाषण मे अगले पच्चीस साल का रोड मैप बताता है कि आने वाला समय बड़ा ही सुधार और संपोषणीय विकास का होगा, जिसमें सरकार का हस्तक्षेप कम और नागरिकों की भूमिका ज्यादा होगी. उनके भाषण में साफ था कि प्रशासनिक दक्षता और नवोन्मेष के साथ क्षमता निर्माण पर काम होगा. लेकिन इसके लिए सबसे पहले अंग्रेजी कानूनों से मुक्ति पाना जरुरी है. क्योंकि 1860 में लॉर्ड मैकाले द्वारा बनाई आईपीसी के कई प्रावधान अलगअलग राज्यों में अलग-अलग है.
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अमरबेल बना राजनीति का अपराधीकरण
आपराधिक प्रवृत्ति के नेताओं को संसदीय लोकतंत्र से दूर स्वने की जिम्मेदारी संसद की है, मगर वास्तविकता यह है कि राजनीतिक दलों पर इनकी पकड़ इतनी मजबूत है कि उनके बिना सत्ता और चुनाव की राजनीति संभव नहीं. भारत में राजनीति अब समाज सेवा का मंच न होकर मोटी कमाई वाला व्यवसाय बनकर रह गया है.
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धर्म से बड़ी भारतीयता, यह कब स्वीकार करेंगे हम...
हिन्दी सिनेमा में एक बहुत ही मशहूर गीत है कि, 'मांझी जो नाव डुबोए, उसे कौन बचाये? जी हां इस गीत से शुरुआत इसलिए, क्योंकि जब देश और समाज को चलाने वाले लोग ही देश और समाज की भलाई से इतर सोचेंगे, फिर देश तरक्की की बिसात पर आगे कैसे बढ़ पाएगा?
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ढाई-ढाई साल कुर्सी का सवाल
कांग्रेस शासित राज्यों में अकेला छत्तीसगढ़ ही ऐसा राज्य बचा था जहां राजनीतिक स्थिरता को लेकर कोई सवाल नहीं है,लेकिन अब यहां भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को खिसकाने के लिए अभियान शुरू हो गया है. सत्ता की लिप्सा ने छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेताओं को अपने ही पांव पर कुल्हाड़ी मारने के लिए उकसा दिया है ..प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बीच अचानक छत्तीस का आंकड़ा प्रकट हो गया है.
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कोर्ट की आड़ में क्यों लटकती है भर्तियां?
आखिर सरकार कोर्ट की आड़ लेकर भर्ती क्यों नहीं करना चाहती? क्या ये अंदर खाने भ्रष्टाचार की दस्तक तो नहीं है. अगर ऐसा नहीं तो फिर क्यों सरकार भर्ती नहीं कर रही है. और दूसरी बात सरकार कॉन्ट्रैक्ट पर कर्मचारी क्यों रखती है. रखती है तो शर्ते साफ-साफ क्यों नहीं है? आखिर क्यों ये कॉन्ट्रक्ट के कर्मचारी हर बार रेगुलर भर्ती में बाधा डालते है. इस सांठ-गांठ के राज उजागर होने चाहिए और सरकार को रेगुलर भर्ती नियमित अंतराल पर करनी चाहिए. सालों से नौकरी की बाट देख रहें है हरियाणा के बीटेक आई. टी.आई. अनुदेशक. आये दिन ट्विटर ट्रेंड में बेरोजगार युवाओं के ट्वीट्स से नौकरी के गुहारों की झड़ी देखने को मिल रही है.
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कोरोना काल में बाल श्रम में वृद्धि, चुनौतियां और समाधान
'बच्चे देश का भविष्य होते हैं, बच्चों के प्रति हर किसी को जागरूक होना चाहिए ताकि एक सुन्दर सुदृढ देश का निर्माण हो सके.' पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भारत के विकास में बच्चों की भूमिका को चिन्हित करते हुए कहा था. उन्होंने न सिर्फ नए उज्ज्वल भारत का सपना देखा बल्कि देश के नौनिहालों के प्रति लोगों को जागरूक भी किया. यह बात एकदम सही है कि बच्चे ही हमारी वह भावी पीढ़ी हैं जो देश को आगे ले जाएंगे. बच्चों का बचपन यदि सही राह पर लग गया तो न सिर्फ परिवार बल्कि समाज और देश को भी सही दिशा दी जा सकती है.
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Gambhir Samachar Magazine Description:
出版社: Mohta Publishing
カテゴリー: News
言語: Hindi
発行頻度: Fortnightly
Gambhir Samachar is a News & Education magazine which cover the day to day political as well as cultural affairs of India
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