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साज़िश का साज़
नूपुर शर्मा के एक बयान को लेकर जिस प्रकार का वातावरण बनाने का प्रयास किया गया, वह समय निकलने के साथ ही अब ऐसा दृश्य दिखा रहा है, जो किसी बड़े षड्यंत्र का हिस्सा भी हो सकता है. इसका मूल कारण नूपुर शर्मा नहीं, बल्कि भारत की वह बढ़ती ताकत है, जो कई देशों को एक झटके में छोटा कर रही है.
राज्यसभा चुनाव - पैराशूट पर भारी 'म्हारा छोरा'
देश के 15 राज्यों की 57 सीटों पर हाल ही में राज्यसभा चुनाव की प्रक्रिया पूर्ण हुई है. इन 57 में से 41 सीटों पर तो प्रत्याशियों का निर्विरोध निर्वाचन हो गया था.
मोदी कोई वाजपेयी नहीं हैं जो आरिफ को कलाम बना दें, लेकिन...
राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर एनडीए उम्मीदवार के रूप में आरिफ मोहम्मद खान का नाम ट्विटर पर ट्रेंड होने से कोई फर्क नहीं पड़ता - क्योंकि मौजूदा दौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एपीजे अब्दुल कलाम की बिलकुल भी जरूरत नहीं है. अटल बिहारी वाजपेयी के दौर में देश का राजनीतिक माहौल अलग था.
पंजाब में खालिस्तानी विचारधारा अपनी गति से आगे बढ़ रही है
सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद उसके कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं.
नुपुर शर्मा प्रकरण - बुद्धिजीवी वर्ग मौन
किसी भी तरह के अपराध का इंसाफ कानून की किताब से ही हो. ना कि चुनावी फायदे या सुविधाजनक ढंग से धार्मिक पक्ष देखकर. नुपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद पर कथित टिप्पणी की आलोचना करने वाले अब हत्या का आह्वान करने लगे हैं. और नुपुर की आलोचना करने वाला बुद्धिजीवी वर्ग मौन है!
डच एमपी की डीप बातों पर मुस्लिम देशों का डोप होना कन्फर्म है !
नुपुर शर्मा को बड़ा सपोर्ट मिला है. हां वो अलग बात है कि समर्थन अपने देश की सरकार से नहीं विदेश से है. वैसे एक समर्थक के रूप में नीदरलैंड के दक्षिणपंथी सांसद गिर्ट वाइलडर्स ने नुपुर से काफी डीप बातें कहीं हैं जिसे सुनकर मुस्लिम देशों का डोप होना कन्फर्म है.
जीवनदायी बनती खदानों में भरी बरसात की एक-एक बूंद
यह पानी के महत्व को दर्शाती है. प्रदेश के 239 उपखण्डों में से 195 उपखण्ड डार्कजोन की श्रेणी में है. बरसात कम या छितराई होती है तो सतही पानी का केवल 1.16 प्रतिशत ही राजस्थान में है. ऐसे में पानी का सही मोल राजस्थानवासी या गर्मियों में जूझते जलदाय विभाग के अधिकारी कर्मचारी व जिला प्रशसन ही समझ सकता है.
खुद को चाहने की हद से गुजर जाने की कोशिश!
कुछ साल पहले कंगना रनौत की एक फिल्म 'क्वीन' आई थी !'
क्या कोई कांग्रेसी भी हो सकता है उम्मीदवार ?
राष्ट्रपति चुनाव में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही उम्मीदवारों के नाम पर खामोश हैं. सोनिया गांधी की तरफ से तो ऐसे भी संकेत दिये जा रहे हैं कि कांग्रेस अपने किसी नेता को चुनाव नहीं लड़ाएगी-कांग्रेस के पास कोई योग्य नेता बचा नहीं क्या?
ओआईसी का दोहरा चरित्र
कभी-कभी तो लगता है कि कुछ अंतरराष्ट्रीय संगठन सिर्फ भारत को कोसने या भारत के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने के लिए ही बने हुए हैं.
उच्च पदों पर आधी दुनिया का कब्जा !
आज महिलाएं सशक्त हो रही है. समान कार्य, समान अधिकार के मौलिक कर्तव्यों के साथ ही निर्णायक भूमिका में आगे बढ़ रही है. वर्तमान समय में स्त्री शास्त्र से लेकर शस्त्र तक शिक्षा से लेकर राजनीति तक हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ रही है. लेकिन यह भी हमारे समाज का एक कटु सत्य है कि महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कमतर ही आंका जाता है. उन्हें शिक्षा जैसे मौलिक अधिकार से वंचित रखने का प्रयास किया गया. यहां तक कि उनके साथ कार्यस्थल पर भी भेदभाव किसी से नहीं छुपा है.
राष्ट्रभक्ति की भावना की सार्वजनिक अभिव्यक्ति
पिछले दिनों उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए मदरसों और स्कूलों में राष्ट्रगान अनिवार्य करने का काम किया है. लिहाजा, अब मदरसे में भी पढ़ाई शुरू होने से पहले बच्चे राष्ट्रगान गायेंगे जिससे उनमें बचपन से ही राष्ट्र की समझ और राष्ट्र प्रेम का विकास होगा.
समाज का संकुचित दायरा और वैधव्य की अनंत पीड़ा
वैधव्य के असहनीय दर्द को उल्लेखित करना आसान नहीं है. यह दर्द वैधव्य पीड़ा भोगने वाली हर स्त्री में समान रूप से संचारित होता है. मंदिरा बेदी जैसी अभिनेत्री भी पति के शव को कंधा नहीं दे सकी, क्योंकि वह उस दुनिया का हिस्सा है जहां चकाचौंध ज्यादा है ! लेकिन, फिर भी वे उस सामाजिक परंपरा से मुक्त नहीं हैं, जो विधवाओं के लिए गढ़े गए हैं. अब मंदिरा बेदी के कपड़ों पर सवाल उठाए जाने लगे हैं. समाज की भावनाएं इतनी एकपक्षीय और पूर्वाग्रह से ग्रस्त है कि हम वैधव्य भोगती महिला को सिर्फ लबादा ओढ़े ही देखना चाहते हैं. लेकिन, धीरे-धीरे कहीं बदलाव की हवा चलती दिखाई दे रही है ! उम्मीद है कि ये हवा आगे तेज होगी.
यासीन मालिक की सज़ा देर से आया, कम आया
यासीन मलिक आतंक का साथ देने वाला ही नहीं बल्कि जेकेएलएफ जैसे समूह को बनाने वाला खुद एक आतंकवादी था, जिसने कश्मीर में चुन चुन कर कश्मीरी पंडितों का सफाया किया. उस पर भी अरुंधति रॉय, फारूक अब्दुल्ला महबूबा मुफ्ती और ओमर अब्दुल्ला समेत कइयों के ख्याल में इन्हे एक मौका मिलना था !
ममता बनर्जी की तानाशाही
तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए उसे हिटलर के शासन से भी खराब बताती हैं. भाजपा सरकार पर संघीय ढांचे को तोड़ने का आरोप लगाती हैं. लेकिन, 'दीदी' खुद राज्यपाल जगदीप धनखड़ की शक्तियों को कम करने की कोशिश करने से परहेज नहीं करती हैं.
बीजेपी को 2024 तक उलझाये रखने का नीतीश का प्लान
नीतीश कुमार ने 2024 तक बीजेपी को फंसाये रखने का प्लान तो बना लिया है. जातीय जनगणना और आरसीपी सिंह का मामला भी यही बता रहा है - लेकिन क्या जेडीयू नेता बीजेपी नेतृत्व को अपने जाल में वाकई उलझा पाएंगे?
पार्टी के लिए खुद को कैसे संवारें
अच्छी तरह संवरने का गहरा प्रभाव पड़ता है और इसके लिए छोटीछोटी बातें भी अहमियत रखती हैं. सभी पहलुओं पर गौर कर आप पार्टी की रात बेहद हसीन नजर आ सकती हैं. मेरा यकीन कीजिये, नाखून का उड़ा हुआ रंग या बेतरतीब बाल से आपका प्रभाव कम नजर आ सकता है. आप कुछ जरूरी टिप्स को आजमाकर अपने आपको आकर्षक बना सकती हैं.
जवानों का हनीट्रैप का शिकार होना चिंताजनक
बीते दिनों राजस्थान में भारतीय सेना के एक जवान को महत्वपूर्ण सैन्य सूचनाएं लीक करने के आरोप में जोधपुर से गिरफ्तार किया गया है.
कैसे काशी विश्वनाथ मंदिर हो गया ज्ञानवापी मस्जिद
उत्तर प्रदेश
आखिर 'बॉर्न टू रूल' सिंड्रोम से कब बाहर आएंगे राहुल गांधी?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी का हालिया लंदन दौरा काफी सुर्खियों में रहा. लंदन में हुए 'आइडिया फॉर इंडिया’ कार्यक्रम में राहुल गांधी ने भारत के संविधान, अर्थव्यवस्था, कांग्रेस के चिंतन शिविर, विदेश नीति जैसे तमाम मुद्दों पर एक बार फिर अपना 'अलग नजरिया रखा. एक ऐसा नजरिया, जो खुद को सही साबित करने की छटपटाहट से शुरू होकर नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना से होते हुए भारत को एक देश के तौर पर ही कठघरे में खड़ा करने को तैयार रहता है. दरअसल, राहुल गांधी 'आइडिया फॉर इंडिया' कार्यक्रम में अपनी गलतियों के लिए सामने वाले (नरेंद्र मोदी, भाजपा, आरएसएस, जनता) को दोषी ठहराने की कोशिशों में लगे रहे.
8 का ठाट मोदी सरकार के आठ साल
सशक्त, निडर और राष्ट्रभक्ति के प्रेरक नेतृत्व में कोई देश महान कैसे बनता है और दुनिया कैसे उस प्रेरक नेतृत्व के प्रति सिर झुकाती है, इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं. नरेन्द्र मोदी जी के महान व्यक्तित्व और भारत को दुनिया के सामने एक महान देश के रूप में प्रस्तुत करने की वीरता व भागीरथी प्रयास की चर्चा से पूर्व इतिहास की कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं की विवेचना भी आवश्यक है. प्रसंग इंदिरा गांधी से जुड़ा हुआ है. इंदिरा गांधी 1971 में अमेरिका गई थीं और अमेरिका से वह मदद चाहती थीं. अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति निक्सन ने एक लॉन में 45 मिनट तक उन्हें इंतजार कराया था. भारत के पूर्व विदेश सचिव और पद्मभूषण महाराजा कृष्ण रसगोत्रा इस अपमानजनक घटना के साक्षी थे. रसगोत्रा ने अपनी आत्मकथा में इस घटना का जिक्र करते हुए लिखा है कि भारत जैसे विशाल लोकतांत्रिक देश के प्रधानमंत्री के साथ इस तरह की कूटनीतिक अपमान की घटना अमेरिकी अहंकार की प्रतीक थी. दूसरा उदाहरण जवाहरलाल नेहरू के साथ जुड़ा हुआ है. चीन युद्ध के दौरान रूस ने नेहरू को धोखा दिया था. नेहरू रूस के धोखे से आक्रोशित थे. नेहरू ने अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति से बचाने की गुहार लगायी थी, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. तीसरा उदाहरण लालबहादुर शास्त्री के साथ जुड़ा है. 1965 के युद्ध में भारत ने महत्वपूर्ण चोटियों पर कब्जा किया था और पाकिस्तान की अपमानजनक पराजय हुई थी. तत्कालीन सोवियत संघ दादागिरी पर उतर आया था. लालबहादुर शास्त्री जी के साथ उस समय जो हुआ वह पूरा देश जानता है.
राहुल गांधी को जिग्नेश मेवाणी क्यों हैं पसंद
नेपाल के नाइटक्लब से शुरू हुआ विवाद राहुल गांधी का पीछा नहीं छोड़ रहा है. नेपाल से लौटते ही राहुल गांधी तेलंगाना के दौरे पर गये थे-और वहां भी कांग्रेस नेताओं के साथ मीटिंग का एक वीडियो बाहर आते ही राहुल गांधी निशाने पर आ गये. वीडियो में राहुल गांधी को ये पूछते सुना गया था कि 'बोलना क्या है?'
भारत के नये कुबेर
कोरोनाकाल के आरंभ होने लेकर अब तक दुनिया की अर्थव्यवस्था हिचकोले ही खाती रही है. बावजूद इसके अब धीरे-धीरे ही सही लेकिन अर्थव्यवस्था की गाड़ी पटरी पर लौटने लगी है. चौथी लहर की आशंका भले ही थोड़ी सिहरन पैदा करें लेकिन निराशा के बादल छंट रहे हैं. हालांकि 2021 में ही 'आइआइएफएल वेल्थ हुरून इंडिया रिच लिस्ट 2021' ने जो भारत के नये धन कुबेरों की सूची जारी की, वह भारत की नई पीढ़ी को ऊर्जावान बनाती है.
पीआरएस ओबराय कॉपोरेट जगत के भीष्म पितामह
शख़्सियत - पीआरएस ओबराय
पत्रकारिता के नैतिक मूल्यों को सहेजने की आवश्यकता
देश में पत्रकारों के अधिकारों की बात करे तो वैसे तो पत्रकारों को कोई विशेष अधिकार नहीं दिए गए है. संविधान में भी प्रेस का कहीं कोई जिक्र नहीं किया गया है. अनुच्छेद-19; सभी व्यक्तियों को बोलने की, स्वतंत्र रूप से अपनी बात रखने की आजादी प्रदान करता है. यही अनुच्छेद पत्रकारों पर भी लागू होता है.
खत्म हुई लाउडस्पीकर के शोर और सड़कों पर नमाज की कुप्रथा!
आजाद भारत के हर दौर में मुसलमानों ने कभी भी किसी मुसलमान को कौम का नेतृत्व (कयादत) का जिम्मा नहीं दिया. यूपी में भी कभी कांग्रेस, कभी सपा तो कभी बसपा पर भरोसा किया. और इस दौरान अल्पसंख्यक वर्ग ने मुस्लिमवादी दलों और मुस्लिम नेताओं पर विश्वास नहीं किया.
कौन जिम्मेदार है महिलाओं के अनचाहे गर्भधारण के लिए!
महिलाओ में अनचाहा गर्भ
एशियाई चैम्पियनशिप में भारतीय पहलवानों का जलवा
रवि ने 2015 में 55 किलोग्राम फ्रीस्टाइल वर्ग में सल्वाडोर डी बाहिया में विश्व जूनियर कुश्ती चैम्पियनशिप में रजत पदक जीता था.2017 में लगी चोट के बाद वह करीब एक साल तक कुश्ती से दूर रहे थे और उसके बाद 2018 में बुखारेस्ट में विश्व अंडर-23 कुश्ती चैम्पियनशिप में 57 किलोग्राम वर्ग में रजत पदक जीतकर धमाकेदार वापसी करने में सफल हुए थे.
एक बार फिर डराने लगा है पंजाब!
1980 के दशक में पंजाब में शुरू हुआ आंतकवाद का दौर, ऑपरेशन ब्लू स्टार, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या और उसके बाद हुए खून खराबे ने देश को वो जख्म दिया जो आजतक नहीं भर सका है. बहुत लम्बे समय तक प्रयास के बाद पंजाब आंतकवाद के चंगुल से बाहर निकला, ऐसे में इस तरह की घटनायें परेशान करने वाली हैं. ऐसा नहीं है कि इससे पहले पंजाब में आतंकवादी घटनाएं नहीं घटी. नवंबर 2018 में अमृतसर के निरंकारी भवन में ब्लास्ट, जनवरी 2017 में सिरसा के मोड़ मंडी में ब्लास्ट, जनवरी 2016 में पठानकोट एयर बेस पर हमला और 2015 में गुरुदासपुर में पुलिस स्टेशन पर भी हमला हुआ, पर पिछले एक साल में जितनी तेजी से ये घटाएं बढ़ी हैं वो ये बताती हैं कि खतरा हमारी समझ से कही बड़ा है.
आजम की नाराजगी की वजह कहीं रामपुर लोकसभा उप-चनाव तो नहीं हैं
उत्तर प्रदेश की रिक्त दो महत्वपूर्ण लोकसभा सीटों के लिए के लिए जुलाई में मतदान होना है.