Gambhir Samachar - November 01, 2020
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news magazine which covers various type of matters.
गूगल के खिलाफ अमेरिका में मुकदमा
दुनिया की सबसे बड़ी इंटरनेट कंपनी गूगल के खिलाफ मुकदमा अमेरिकी न्याय विभाग और 11 अलग-अलग अमेरिकी राज्यों द्वारा देश के एंटीट्रस्ट कानून के कथित उल्लंघन के मामले में दायर किया गया है.
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बिहार में ई बा...
बॉलीवुड स्टार मनोज बाजपेयी द्वारा भोजपुरी रैप मुबंई में का बा' ने जहां रिकार्ड लोकप्रियता हासिल की, वहीं इसकी पैरोडी 'बिहार में का बा' बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर काफी चर्चित रहा और इसकी गायिका नेहा ठाकुर भी लोकप्रिय हो गई. वास्तव में इन दोनों ही गानों के केंद्र में तो बिहार ही है. लेकिन ऐसे समय में जब सूबे में विधानसभा चुनाव हो तो फिर वह सारे मुद्दे जो इन गानों के जरिये उठाये गये हैं लोगों को अपील तो करते हैं और ये चुनाव में अपनी भूमिका भी निभा सकते हैं. इन सबके बीच बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर क्या हो रहा हैं और इसकी परिणती किस रूप में हो सकती है. ऐसे में 'बिहार में का बा' को 'बिहार में ई बा' की तर्ज पर भी देखा जा सकता है. गली-चौराहों से लेकर गांव-गांव में लाउंडस्पीकर घूप रहे हैं और हर दल गानों के जरिये अपनी बात-मुद्दों से वोटरों को लुभाने की कोशिश कर रहा है. यह परपंरा कोई नई नहीं है. चुनावों में प्रचार का यह एक सुगम और लोकप्रिय साधन रहा है.
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वामपंथी फरेब को टोने में डूबी कांग्रेस !
वामपंथ से कांग्रेस की नजदीकियां नई नहीं हैं. विचारधारा के स्तर पर सर्वथा पृथक होते हुए भी नेहरूगांधी परिवार का वामपंथ प्रेम सर्वविदित है. आज नेपाल में वामपंथी सरकार के चलते हम दोनों देशों के बीच रिश्तों के जिस संकट का सामना कर रहे हैं, उसकी जड़ें कहीं न कहीं भारत और कांग्रेस तक पहुंचती हैं.
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बदल रही दीवाली की चमक
समय बीतता है तो बदलाव साथ-साथ चलते हैं. बदलाव जरूरी हैं, बदलाव अच्छे हैं, इस वर्ष कोरोना वायरस महामारी की वजह से भी सार्वजनिक समारोह और पर्व त्योहारों में बदलाव देखा जा रहा है. एक प्रकार से कोविड 19 के बाद समाज बदल रहा है, सोच बदल रही है, साथ-साथ रीति-रिवाज और त्योहार भी. दीपावली भी अब पहले जैसी कहां रही. कितना कुछ बदल गया. बीते कुछ वर्षों में दीवाली की रौनक बढ़ गई, पटाखों का शोर बढ़ गया पर बहुत कुछ ऐसा था जो बीते सालों में कहीं खो गया. क्या ले गए बीते दो दशक हमारी दीवाली से?
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मुद्दे बोल मुद्दे गोल
मध्यप्रदेश में 28 सीटों के लिए होने जा रहे उपचुनावों की कहानी भी कुछ अलग नहीं है. जब से कमलनाथ की सवा साल वाली कांग्रेस सरकार गिरी है तभी से किसानों की कर्जमाफी, बिजली और भ्रष्टाचार पर भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियां उलझ रही थीं. लेकिन चुनावों की तिथि की घोषणा के बाद इन मुद्दों के साथ-साथ जनहित की तमाम बातें पृष्ठभूमि में लुप्त होती गई और एक-दूसरे के नेताओं पर कीचड़ उछाल्लू बातें लाइम लाइट में आने लगी.
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एक युद्ध प्रदूषण के विरुद्ध
हमने देख लिया है कि सिर्फ अदालती आदेशों के भरोसे हम प्रदूषण की समस्या से नहीं लड़ सकते. तभी तो इस मुद्दे पर हर साल हो-हल्ला होता है. इसके बावजूद भी ये समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है. मात्र पराली इस समस्या की जड़ नहीं है. फैक्ट्रिया, वाहन और उद्योग जहरीले हवा के लिए दोषी है. इन सभी को एक फ्रेम में देखकर हमें सभी के लिए सरल नियम लागू करने होंगे.इसके साथ-साथ हम सभी को स्वयं जागरूक होने की जरूरत है. तभी हम प्रदूषण के विरुद्ध इस युद्ध को जीत पाएंगे.
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अपने ही डूबाएंगे योगी की नैया!
हाथरस कांड के बाद बलिया गोलीकांड ने तो वैसे ही योगी सरकार को कठघरे में ला दिया था लेकिन बलिया गोलीकांड के मुख्य आरोपी धीरेद्र प्रताप सिंह के लिए सत्ताधारी पार्टी का विधायक सुरेंद्र सिंह राजनीति छोड़ने और आमरण अनशन करने की धमकी दे रहे हों और उनकी हर दलील के पीछे सिर्फ और सिर्फ जातीय आधार हो? तो स्वाभाविक है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नैय्या दूसरे नहीं बल्कि अपने ही डूबने की तैयारी में लगे हैं.
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खत्म हो शिक्षा के नाम पर धर्म के प्रचार की छूट
यह सवाल अपने आप में आज के दिन बेहद महत्वपूर्ण है कि क्या भारत में शिक्षा के नाम पर धर्म प्रचार की अनुमति जारी रहनी चाहिए? किसे नहीं पता कि धर्म प्रचार के कारण हमारे अपने देश में और पूरे विश्व में करोड़ों लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं और रोज ही मारे जा रहे हैं.
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Gambhir Samachar Magazine Description:
出版社: Mohta Publishing
カテゴリー: News
言語: Hindi
発行頻度: Fortnightly
Gambhir Samachar is a News & Education magazine which cover the day to day political as well as cultural affairs of India
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