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भयावह युद्ध की आग में झुलसता मध्य-पूर्व, क्या ईरान काबू में आ जाएगा?
Aaj Samaaj
|June 21, 2025
13 जून 2025 को इजराइल ने 'ऑपरेशन राइजिंग लॉयन' के तहत ईरान पर प्री-एम्पटिव स्ट्राइक की. इसके बाद से दोनों देशों के बीच हमले और जवाबी हमले का क्रम अभी भी जारी है. वैसे जिस प्रकार से ईरान व इजराइल के शीर्ष नेतृत्व की तरफ से बयान आ रहे हैं, उससे लगता है कि यह संघर्ष अभी रुकने वाला नहीं है. अब प्रश्न यह उठता है कि इस संघर्ष
के लिए दोषी किसे माना जाए? क्या यह संघर्ष रोका नहीं जा सकता था क्या इसे मध्य-पूर्व में एक नए युद्ध की शुरूआत के रूप में देखा जा सकता है प्रथम दृष्टया तो मध्य-पूर्व में एक और युद्ध छेड़ने के लिए इजराइल ही दोषी लगता है लेकिन वैदेशिक विषय जैसे दिखते हैं वैसे होते नहीं हैं. इसलिए इसे निष्कर्ष मानना उचित नहीं होगा. अगर कुछ विदेशी, विशेषकर अमेरिकी अखबारों पर नजर डालें तो कुछ दिन पहले से ही यह संकेत मिलने लगा था कि इजराइल ईरान पर हमला करने वाला है. अमेरिकी प्रशासन को नेतन्याहू की मंशा पता थी, इसके बावजूद हमला हुआ है तो इसके निहितार्थ भी होंगे. यानी बात केवल तेल अवीव तक सीमित नहीं है, इसका वाशिंगटन कनेक्शन भी है. अमेरिका के पास इजराइल का कोई विकल्प नहीं है. दूसरे शब्दों में कहें कि अमेरिका को यदि मध्य-पूर्व में अपने हितों की रक्षा करनी है तो उसे इजराइल का सहयोग करना ही होगा. यह कार्य अमेरिका ही नहीं, यूरोप के देश भी कर रहे हैं. एक प्रश्न यह भी है कि किसी भी देश की तरफ से ऐसी कार्रवाई जायज कैसे हो सकती है? हम यह नहीं कह सकते कि कौन सही है और कौन गलत, लेकिन यह सवाल कर सकते हैं कि वह संस्था कहां है जिसे 1945 में स्थापित किया गया था, वैश्विक शांति के लिए. वही संयुक्त राष्ट्र संघ, जो हर समय गहरी नींद में दिखता है. अंतरराष्ट्रीय कम्युनिटी कहां है? इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू 'ऑपरेशन र
यह कहानी Aaj Samaaj के June 21, 2025 संस्करण से ली गई है।
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