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शरीर के 7 चक्रों के संतुलन पर निर्भर है हमारी सेहत
Sadhana Path
|June 2025
मनुष्य को शारीरिक और मानसिक भावनात्मक रूप से स्वस्थ रखने के लिए शरीर में मौजूद सात चक्र अहम् भूमिका निभाते हैं, जिनका पुरातन हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म में वर्णन किया गया है, जिन्हें आज योग साधना के जरिये देश-विदेश में जाना जाता है।
वास्तव में ये चक्र हमारे शरीर के उर्जा-केंद्र हैं जो शरीर के विभिन्न अंगों और उनके आसपास की तंत्रिकाओं से जुड़े होते हैं। इन चक्रों के माध्यम से ऊर्जा का प्रवाह निरंतर होता रहता है। ऊर्जा का यह प्रवाह जब तक संतुलित तरीके से होता है, तब तक हमारा शरीर तंदरुस्त रहता है। लेकिन किसी भी तरह की शारीरिक या मानसिक समस्या होने का असर इन चक्रों या ऊर्जा-केंद्र पर भी पड़ता है। शरीर में ऊर्जा का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है, शरीर के विभिन्न अंगों की कार्यक्षमता गड़बड़ा जाती है और हमें कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में योग की चक्र-हीलिंग थेरेपी से इन चक्रों और ऊर्जा के प्रवाह को संतुलित किया जाता है जिसके लिए व्यक्ति को नैचरोपैथी फिजीशियन से मदद लेनी पड़ती है।
लिहाजा हमें शरीर में मौजूद 7 चक्रों के बारे में जानकारी जरूर होनी चाहिए ताकि इन्हें संतुलित रखकर समस्याओं के निराकरण में मदद मिल सके। हमारे शरीर में मूलतः 7 चक्र होते हैं जिनकी शुरुआत हमारी रीढ़ की हड्डी के सबसे निचले हिस्से से होती है और सिर या सहस्रार चक्र (सिर के शीर्ष पर स्थित है) तक जाते हैं।
मूलाधार चक्रः
रीढ़ की हड्डी के सबसे निचले रूट पर होता है। यहां से हमारे शरीर में ऊर्जा-प्रवाह की शुरुआत होती है। भावनात्मक रूप से देखें तो इस चक्र पर आपके पारिवारिक संबंध और दृढ़ता का बहुत असर पड़ता है। अगर आपके परिवार में संबंध अच्छे नहीं हैं, तो चक्र का ऊर्जा-प्रवाह गड़बड़ा जाता है। कभी-कभी मूलाधार चक्र में असंतुलन पीढ़ी दर पीढ़ी भी चलता है। अगर कोई खंडित परिवार, आपसी संबंध में दरार हो, या किसी बात को लेकर मनमुटाव हो, तो इसका असर आगे आने वाली पीढ़ी पर पड़ता है।
इस चक्र में असंतुलन होने से त्वचा संबंधी समस्याएं ज्यादा होती हैं, ऑटो इम्यून डिसऑर्डर ज्यादा होते हैं। इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति खुद को असुरक्षित महसूस करता है या स्वयं निर्णय लेने में सक्षम नहीं है। इससे यह पता चलता है कि उसका मूलाधार चक्र अस्थिर है।
स्वाधिष्ठान चक्रः
यह हमारी नाभि से 2-4 उंगली नीचे होता है। यह चक्र व्यक्ति को भावनात्मक रूप से जुड़ने में मदद करता है। चक्र का संतुलन व्यक्ति के पारस्परिक संबंधों और उसकी खुशी पर निर्भर करता है।
यह कहानी Sadhana Path के June 2025 संस्करण से ली गई है।
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