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जैविक खेती में सूक्ष्म जैविक नियंत्रकों का महत्व एवं प्रयोग विधि
Modern Kheti - Hindi
|15th May 2025
कृषि भारत की आर्थिक व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है। भारत की कृषि में 20वीं सदी के अंतिम समय में हरित क्रांति के रूप में बहुत ही बड़ा परिवर्तन आया था। फसलों की नई उन्नत किस्में, रासायनिक खादें और कीटनाशकों के प्रयोग ने हरित क्रांति के शुरू के वर्षों में खेती उपज बढ़ाने और भारत को अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने में एक बहुत ही अहम भूमिका निभाई है।
खेती में हमारा उद्देश्य गुणों से भरपूर, कम लागत में ऐसा अनाज उपलब्ध करवाना है जो मनुष्य, जीव विभिन्नता एवं पर्यावरण पर कम से कम हानिकारक प्रभाव पड़े। हमारे ऊंचे हो रहे जीवन स्तर, बढ़ती लागत का सामना करने और पर्यावरण को संभालने के लिए हमें उपलब्ध तकनीकों, विकसित ढंगों का संयुक्त ढंग से प्रयोग करना होगा जिसमें कीटों की रोकथाम के लिए रासायनिक एवं जैविक विधियों को एक संयुक्त और संतुलित कार्य के रूप में शुरू करना होगा। आधुनिक समय में खेती को और अधिक उपज एवं लाभदायक बनाने की आवश्यकता है। यद्यपि रासायनिक कीटनाशक फसलों को कीटों से सुरक्षा और अनाज के उत्पादन में सुधार लाते हैं, परन्तु यह पर्यावरण एवं लोगों पर अपने संभावित हानिकारक प्रभाव के लिए भी जाने जाते हैं, जो जैविक विविधता तथा प्रकृति के कोमल संतुलन को नष्ट कर मनुष्य स्वयं विनाश के पथ पर अग्रसर हैं। अतः किसान अब फसल सुरक्षा के अन्य विकल्प को तलाशने लगा है। यह बात अब समझ आने लगी है कि प्रकृति के जितने नजदीक रहकर खेती की जाये, उतनी ही समस्या कम आयेगी। अतः प्राकृतिक फसल सुरक्षा पर अब विशेष बल दिये जाने की आवश्यकता है। इसी संदर्भ में फसलों को प्रमुख हानिकारक कीटों व रोगों से बचाव के लिए/अन्तर्गत जैविक नियंत्रकों (जैविक कीट व्याधिनाशक एवं जैवकर्ता) का प्रयोग अब विशेष आवश्यक है। पिछले कई दशकों से जैविक कृषि हेतु अनेक सूक्ष्म जैविक नियंत्रकों की खोज हुई है जो शत्रु कीट व्याधियों पर प्रभावी नियंत्रण भी दे रहे हैं। आजकल जैविक कृषि हेतु मुख्य रूप से जिस जैविक नियंत्रकों का प्रयोग कीटों व रोगों की रोकथाम के लिए किया जा रहा है, वे निम्न हैं -
कीट नियंत्रण हेतु सूक्ष्म जैविक नियंत्रण :-
कीटों में सूक्ष्म जैविक नियंत्रण तीन प्रकार से होता है -
- कीट में रोगाणु भोजन के साथ अन्दर जाते हैं। जैसे बैक्टीरिया, वायरस एवं कवक।
- कवक तथा सूत्रकृमि बाहरी त्वचा अथवा श्वासनली को भेदकर कीटों के शरीर में प्रवेश करते हैं।
- सूक्ष्मजीव क्यूटिकिल में दरार उत्पन्न होने पर प्रवेश करते हैं। यह दरार परजीवी कीटों के काटने या घाव बनाने से होता है।
यह कहानी Modern Kheti - Hindi के 15th May 2025 संस्करण से ली गई है।
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