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अब सब्जियों में भी होगी 'ग्राफ्टिंग'
Modern Kheti - Hindi
|15th May 2025
सब्जियों, फलों की खेती कर रहे किसानों के लिए उम्मीद की एक नई किरण दिखी है। इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स (इक्रीसेट) के नए अध्ययन से पता चला है कि, 'सब्जियों की नई ग्राफ्टिंग' तकनीक किसानों के लिए बेहद फायदेमंद है।
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इससे न केवल पैदावर में वृद्धि होती है। साथ ही यह बदलती जलवायु और विषम परिस्थितियों में भी पौधे को पनपने और फलने में मदद करती है। इक्रीसेट के मुताबिक अगर यह तकनीक प्राकृतिक रूप से हवादार पॉलीहाउस जैसी संरक्षित खेतों में अपनाई जाए, तो इसकी मदद से फसलों की पैदावार और छोटे किसानों की आमदनी में बड़ा इजाफा हो सकता है। वैज्ञानिकों को भरोसा है कि यह तकनीक जलवायु से जूझते किसानों के लिए वरदान बन सकती है। अध्ययन से पता चला है कि ग्राफ्टिंग की इस नई तकनीक में एक बेहतर उत्पादन देने वाली सब्जी की किस्म को कलम की मदद से मुश्किल हालात में भी पनप सकने वाले पौधे की जड़ से जोड़ा जाता है। इससे ऐसे पौधे तैयार किए जा सकते हैं जो विषम मौसम में भी अच्छी तरह से बढ़ते हैं, जहां पारंपरिक खेतों में अक्सर फसलें नुकसान झेलती हैं। अध्ययन के दौरान जब टमाटर के पौधे को सोलेनम टॉरवम नामक जड़ों पर ग्राफ्ट करके पॉलीहाउस में उगाया गया तो उसकी पैदावार खुले खेतों में उगाए बिना ग्राफ्टिंग वाले पौधों की तुलना में 63.8 प्रतिशत तक अधिक रही। इस ग्राफ्टिंग तकनीक से उगाए गए पौधे ज्यादा मजबूत थे। इन्होंने अधिक दिनों तक फल दिए। अध्ययन के दौरान इनसे तीन से पांच बार पैदावार ली गई। इसके साथ-स
यह कहानी Modern Kheti - Hindi के 15th May 2025 संस्करण से ली गई है।
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