मैगज़्टर गोल्ड के साथ असीमित हो जाओ

मैगज़्टर गोल्ड के साथ असीमित हो जाओ

10,000 से अधिक पत्रिकाओं, समाचार पत्रों और प्रीमियम कहानियों तक असीमित पहुंच प्राप्त करें सिर्फ

$149.99
 
$74.99/वर्ष

कोशिश गोल्ड - मुक्त

अब सब्जियों में भी होगी 'ग्राफ्टिंग'

Modern Kheti - Hindi

|

15th May 2025

सब्जियों, फलों की खेती कर रहे किसानों के लिए उम्मीद की एक नई किरण दिखी है। इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स (इक्रीसेट) के नए अध्ययन से पता चला है कि, 'सब्जियों की नई ग्राफ्टिंग' तकनीक किसानों के लिए बेहद फायदेमंद है।

अब सब्जियों में भी होगी 'ग्राफ्टिंग'

इससे न केवल पैदावर में वृद्धि होती है। साथ ही यह बदलती जलवायु और विषम परिस्थितियों में भी पौधे को पनपने और फलने में मदद करती है। इक्रीसेट के मुताबिक अगर यह तकनीक प्राकृतिक रूप से हवादार पॉलीहाउस जैसी संरक्षित खेतों में अपनाई जाए, तो इसकी मदद से फसलों की पैदावार और छोटे किसानों की आमदनी में बड़ा इजाफा हो सकता है। वैज्ञानिकों को भरोसा है कि यह तकनीक जलवायु से जूझते किसानों के लिए वरदान बन सकती है। अध्ययन से पता चला है कि ग्राफ्टिंग की इस नई तकनीक में एक बेहतर उत्पादन देने वाली सब्जी की किस्म को कलम की मदद से मुश्किल हालात में भी पनप सकने वाले पौधे की जड़ से जोड़ा जाता है। इससे ऐसे पौधे तैयार किए जा सकते हैं जो विषम मौसम में भी अच्छी तरह से बढ़ते हैं, जहां पारंपरिक खेतों में अक्सर फसलें नुकसान झेलती हैं। अध्ययन के दौरान जब टमाटर के पौधे को सोलेनम टॉरवम नामक जड़ों पर ग्राफ्ट करके पॉलीहाउस में उगाया गया तो उसकी पैदावार खुले खेतों में उगाए बिना ग्राफ्टिंग वाले पौधों की तुलना में 63.8 प्रतिशत तक अधिक रही। इस ग्राफ्टिंग तकनीक से उगाए गए पौधे ज्यादा मजबूत थे। इन्होंने अधिक दिनों तक फल दिए। अध्ययन के दौरान इनसे तीन से पांच बार पैदावार ली गई। इसके साथ-स

Modern Kheti - Hindi से और कहानियाँ

Modern Kheti - Hindi

Modern Kheti - Hindi

मक्का की बिजाई करने के लिए मेज़ प्लांटर

मक्का की बिजाई करने वाली मशीन, मेज़ प्लांटर को नेशनल एग्रो इंडस्ट्रीज़ की ओर से बनाया गया है।

time to read

1 min

15th November 2025

Modern Kheti - Hindi

Modern Kheti - Hindi

घृतकुमारी का औषधीय योगदान एवं महत्व

कुमारी, गृह कन्या, घृतकुमारिका आदि, इसके पत्तों में छेद करने या दबाने पर लसलसा पदार्थ निकलता है।

time to read

3 mins

15th November 2025

Modern Kheti - Hindi

Modern Kheti - Hindi

क्या जीनोम-संपादित धान की किस्में उचित हैं ?

देश के शीर्ष कृषि अनुसंधान संस्थान आईसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) और कृषि मंत्रालय पर जीनोम-संपादित (जीनोम-एडीटेड) धान के परीक्षणों में वैज्ञानिक हेरफेर और बेईमानी के आरोप लगे हैं।

time to read

3 mins

15th November 2025

Modern Kheti - Hindi

Modern Kheti - Hindi

गन्ना की खेती देखभाल और पैदावार

गन्ना एक प्रमुख व्यवसायिक फसल है, विषम परिस्थितियां भी इसकी फसल को बहुत अधिक प्रभावित नहीं कर पाती।

time to read

10 mins

15th November 2025

Modern Kheti - Hindi

Modern Kheti - Hindi

खाद्य उत्पादन की बढ़ती मांग से धरती पर पड़ रहा है प्रभाव

इसमें कोई शक नहीं कि इंसानी सभ्यता ने अपने विकास के लिए प्रकृति का बड़े पैमाने पर दोहन किया है।

time to read

3 mins

15th November 2025

Modern Kheti - Hindi

Modern Kheti - Hindi

टिकाऊ कृषि विकास के लिए भूमि सुधार आवश्यक ...

कृषि के मुख्यतः तीन प्रमुख स्तम्भ हैं-मिट्टी, पानी और बीज परंतु गत कुछ दशकों में परंपरागत कृषि तकनीकों जैसे अत्याधिक जुताई, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग एवं जैविक खाद के कम उपयोग, इत्यादि के कारण मिट्टी की गुणवत्ता में बहुत गिरावट आई है।

time to read

8 mins

15th November 2025

Modern Kheti - Hindi

Modern Kheti - Hindi

निराशा से समाधान तक कैसे भारत पराली जलाने की समस्या का कर सकता है अंत

पराली जलाने की समस्या का हल संभव है। समझदारी बरतते हुए अगले तीन वर्षों में इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। इस बारे में विस्तार से बता रहे हैं अरुणाभ घोष और कुरिंजी केमांथ

time to read

5 mins

15th November 2025

Modern Kheti - Hindi

Modern Kheti - Hindi

अलसी की खेती से लाभ कमाएं

अलसी तेल वाली फसलों में दूसरी खास फसल है।

time to read

8 mins

15th November 2025

Modern Kheti - Hindi

Modern Kheti - Hindi

क्रांतिकारी मॉडल विकसित करने वाले सफल किसा सीताराम निगवाल

मध्यप्रदेश के धार जिले के किसान सीताराम निगवाल ने 30 वर्षों के अनुभव से खेती का एक क्रांतिकारी मॉडल, विकसित किया है।

time to read

2 mins

15th November 2025

Modern Kheti - Hindi

Modern Kheti - Hindi

भूमि क्षरण से बढ़ रहा कुपोषण

लगभग 1.7 अरब लोग ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जहां मानवीय कारणों से भूमि के क्षरण के चलते फसलों की पैदावार घट रही है।

time to read

2 mins

15th November 2025

Listen

Translate

Share

-
+

Change font size