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Kendra Bharati - केन्द्र भारती - September 2018

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इस अंक में

Kendra Bharati : September 2018 : जड़ों को सींचें : हमारा कार्य, मूलभूत कार्य है। हमें जड़ों को सींचना है। हमें जड़ों को सींचना है यानी क्या करना है? अपना राष्ट्र, अपनी संस्कृति की जड़ें क्या है, यह जानने का प्रयास करते हैं, तो पाते हैं कि वेद हमारा मूल हैं, हमारी जड़ें हैं। इस ‘वेद’ के मर्म को समझना होगा। वेद अर्थात अस्तित्व का सनातन नियम, हमारा जीवन दर्शन है। यही हमारी संस्कृति का मूल है, राष्ट्र का मूल है। क्योंकि यह राष्ट्र ही सांस्कृतिक राष्ट्र है। जब-जब अपने राष्ट्र पर आक्रमण हुए, कठिनाइयां आईं तब-तब हमने अपने जड़ों को पहचाना और उसे सींचा, तब हमारी संस्कृति का विकास हुआ। ऐसे तत्व जीवन में धारण करनेवाले जितने लोग समाज में रहें, उतना ही इस समाज का, इस राष्ट्र का विकास हुआ है। जब-जब यह तत्व छूट गया या आचरण में नहीं रहा, तब-तब कठिनाइयों का सामना करते समय हमारे पांव लडखड़ाए या हम सामना नहीं कर पाए, या हम अपना विकास नहीं कर पाए। ..... अभी भी देश की आत्मा अपनी गरिमा से उठ नहीं सकती, क्योंकि हम जागरूक नहीं हैं। समाज आत्मविस्मृत होकर बैठा है। इसलिए आज इस सोए हुए समाज को अपनी गरिमा से पुन: प्रतिष्ठित करने के लिए खुद को गलाना होगा। तिल-तिल मिटकर इस राष्ट्र को फिर से खड़ा करना होगा। जड़ोंको सींचना होगा।

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विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी की सांस्कृतिक मासिक हिन्दी पत्रिका "केन्द्र भारती"

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