कोशिश गोल्ड - मुक्त

Hans Magazine - August 2025

filled-star
Hans Magazine

मैगज़्टर गोल्ड के साथ असीमित हो जाओ

पढ़ना Hans Magazine केवल एक सदस्यता के साथ 9,500+ अन्य पत्रिकाएँ और समाचार पत्र  

कैटलॉग देखें

1 महीना

$14.99

1 वर्ष

$149.99

$12/month

(OR)

केवल Hans Magazine की सदस्यता लें

यह अंक खरीदें: August 2025

August 2025 से शुरू होने वाले undefined अंक

August 2025 से शुरू होने वाले 12 अंक

यह अंक खरीदें

$2.99

1 वर्ष

$3.99

Please choose your subscription plan

किसी भी समय रद्द करें.

(कोई प्रतिबद्धता नहीं) ⓘ

यदि आप सदस्यता से खुश नहीं हैं, तो आप पूर्ण धनवापसी के लिए सदस्यता आरंभ तिथि से 7 दिनों के भीतर हमें help@magzter.com पर ईमेल कर सकते हैं। कोई प्रश्न नहीं पूछा जाएगा - वादा! (नोट: एकल अंक खरीद के लिए लागू नहीं)

डिजिटल सदस्यता

त्वरित पहुँच ⓘ

मैगज़टर वेबसाइट, आईओएस, एंड्रॉइड और अमेज़ॅन ऐप पर तुरंत पढ़ना शुरू करने के लिए अभी सदस्यता लें।

सत्यापित सुरक्षित

भुगतान ⓘ

मैगज़्टर एक सत्यापित स्ट्राइप व्यापारी है।

इस अंक में

‘हंस’ मासिक पत्रिका अब पीडीएफ़ रुप में भी उपलब्ध है। अब आप ‘हंस’ के किसी भी अंक के पीडीएफ़ को डाउनलोड कर तुरंत पढ़ सकते हैं। राशि का भुगतान होने के बाद अंक का लिंक आपके अकाउंट में हमेशा रहेगा, आप जब चाहें इसे डाउनलोड कर पढ़ सकते हैं। अब हंस कहीं भी, कभी भी…
‘हंस’, अगस्त 2025 अंक

Hans Magazine Description:

हंस दिल्ली से प्रकाशित होने वाली हिन्दी की कथा मासिक पत्रिका है जिसका सम्पादन राजेन्द्र यादव ने 1986 से 2013 तक किया।

उपन्यास सम्राट प्रेमचंद द्वारा स्थापित और सम्पादित हंस अपने समय की अत्यन्त महत्वपूर्ण पत्रिका रही है। महात्मा गांधी और कन्हैयालाल माणिक लाल मुंशी भी दो वर्ष तक हंस के सम्पादक मण्डल में शामिल रहे। मुंशी प्रेमचंद की मृत्यु के बाद हंस का सम्पादन उनके पुत्र कथाकार अमृतराय ने किया। अनेक वर्षों तक हंस का प्रकाशन बन्द रहा। बाद में मुंशी प्रेमचंद की जन्मतिथि (31 जुलाई) को ही सन् 1986 से अक्षर प्रकाशन ने कथाकार राजेन्द्र यादव के सम्पादन में इस पत्रिका को एक कथा मासिक के रूप में फिर से प्रकाशित करना प्रारम्भ किया | आने वाले वर्षों में यह सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली हिंदी साहित्यिक पत्रिका के रूप में उभरी और आज भी यह हिंदी साहित्य जगत में एक प्रतिष्ठित और विचारशील पत्रिका का स्थान बनाए हुए है.

सन 2013 में राजेन्द्र यादव की मृत्यु के बाद हंस का प्रकाशन और प्रबंध निदेशन उनकी पुत्री रचना यादव द्वारा किया जा रहा है और हिंदी के प्रख्यात कहानीकार संजय सहाय अब हंस के संपादक हैं.

हाल के अंक

संबंधित शीर्षक

लोकप्रिय श्रेणियां