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पहली कार फेल हुई तो निर्माण बंद करने वाली थी टाटा मोटर्स, अब देश की शीर्ष ईवी कार कंपनी
Dainik Bhaskar Chhatarpur
|October 31, 2025
साल 1999, तब टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव नाम से पहचानी जाने वाली टाटा मोटर्स गंभीर संकट से गुजर रही थी।
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उनकी पहली स्वदेशी कार इंडिका फ्लॉप हो गई थी। कंपनी को उस समय रिकॉर्ड 500 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। इंडिका के पहले टाटा मोटर्स विदेशी सहयोग से कारें बना रही थी। कंपनी की वार्षिक बैठक में भावुक होकर रतन टाटा ने कहा, 'यह सबसे कठिन दौर है। अगर हम बदलाव नहीं लाए तो कंपनी की साख डूब जाएगी'। उनके इस बयान के बाद कंपनी के शेयर अपने निचले स्तर पर करीब 18 रुपए पर पहुंच गए। कंपनी के तत्कालीन चेयरमैन रतन टाटा और उनकी टीम ने पैसेंजर कार डिवीजन को अमेरिकी कंपनी फोर्ड को बेचने का निर्णय लिया और अमेरिका गए। हालांकि इस दौरान फोर्ड के एक अधिकारी ने टीम से कहा 'आपको कार उद्योग का अनुभव नहीं है, तो फिर आप कारें क्यों बना रहे हैं?' यह बात रतन टाटा को नागवार गुजरी। इसके बाद उन्होंने कार डिवीजन को न बेचने का फैसला किया। इसके बाद कंपनी ने ऐसी रफ्तार पकड़ी कि 2008 में टाटा मोटर्स ने फोर्ड के जगुआर और लैंड रोवर जैसे अंतरराष्ट्रीय ब्रांड खरीद लिए। आज ईवी कार सेगमेंट में टाटा मोटर्स 36% शेयर के साथ सबसे बड़ी स्वदेशी कंपनी है। आज पढ़िए कहानी टाटा मोटर्स की-
वर्तमान स्थिति
2.43 लाख करोड़ से अधिक का मार्केट कैप
Cette histoire est tirée de l'édition October 31, 2025 de Dainik Bhaskar Chhatarpur.
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