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जैव उर्वरक उपयोग एवं सावधानियां
Modern Kheti - Hindi
|1st June 2025
फसल उत्पादन में उर्वरकों की भूमिका विशेष महत्वपूर्ण है।
आधुनिक सघन खेती में रासायनिक उर्वरकों तथा अन्य कृषि रसायनों के दिन प्रति दिन बढ़ते हुये तथा असंतुलित प्रयोग से भूमि की संरचना तथा उर्वरकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इस बात ने हमें यह सोचने के लिये विवश कर दिया है कि हम प्रकृति के इस महत्वपूर्ण संसाधन भूमि की उर्वरकता, संरचना तथा पर्यावरण को लम्बे समय तक कैसे बचाये रखें। दूसरी ओर विश्व व्यापार संगठन में भारत का प्रवेश होने से हमारे आगे न केवल अधिक फसल उत्पादन करने की बल्कि उत्कृष्ट गुणवत्ता बनाये रखने की भी चुनौती है। जैव उर्वरकों को पूरक के रूप में प्रयोग करने से रासायनिक उर्वरकों की क्षमता बढ़ती है, साथ-साथ फसलों की उत्पादकता एवं गुणवत्ता में भी वृद्धि होती है।
जैव उर्वरक क्या है:
पर्यावरण के संरक्षण, भूमि की संरचना तथा उर्वरकता को बचाये रखते हुये अधिक उत्पादन के लिये कृषि वैज्ञानिकों ने ऐसे जीवाणुओं का उर्वरक तैयार किया है जो वायुमण्डल में उपलब्ध नत्रजन को पौधों को उपलब्ध कराते हैं तथा भूमि में पहले से मौजूद फास्फोरस आदि पोषक तत्वों को घुलनशील बनाकर पौधों को उपलब्ध कराते हैं। यह जीवाणु प्राकृतिक है, रासायनिक नहीं इसलिये इनके प्रयोग से भूमि की उर्वराशक्ति बढ़ती है और पर्यावरण पर विपरीत असर नही पड़ता।
जैव उर्वरक रासायनिक उर्वरक का विकल्प नहीं हैं। इन्हे रासायनिक उर्वरकों के पूरक के रूप में प्रयोग करने से हम बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।
विभिन्न कम्पनियों द्वारा उत्पादित उर्वरक :
» राइजोबियम कल्चर
» एजोटोबैक्टर
» एसीटोबैक्टर
» पी.एस.एम.
राइजोबियम कल्चर :
Cette histoire est tirée de l'édition 1st June 2025 de Modern Kheti - Hindi.
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