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मूंग की खेती की उचित पैदावार कैसे लें?
Modern Kheti - Hindi
|15th April 2025
भारत में मूंग ग्रीष्म और खरीफ दोनों मौसम की कम समय में पकने वाली एक मुख्य दलहनी फसल है।
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मूंग का उपयोग मुख्य रूप से आहार में किया जाता है, जिसमें 24 से 26 प्रतिशत प्रोटीन, 55 से 60 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट और 1.3 प्रतिशत वसा होता है। यह दलहनी फसल होने के कारण इसके तने में नाइट्रोजन की गाठें पाई जाती हैं। जिससे इस फसल के खेत को 35 से 40 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हैक्टेयर प्राप्त होती है। ग्रीष्म मूंग की खेती चना, मटर, गेहूं, सरसों, आलू, जौ, अलसी आदि फसलों की कटाई के बाद खाली हुए खेतों में की जा सकती है। पंजाब, हरियाणा उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान प्रमुख ग्रीष्म मूंग उत्पादक राज्य हैं।
धान-गेहूं फसल चक्र वाले क्षेत्रों में जायद मूंग की खेती द्वारा मिट्टी उर्वरता को उच्च स्तर पर बनाये रखा जा सकता है। लेकिन अच्छी तकनीकी न होने के कारण जितने क्षेत्र में इसकी फसल उगाई जाती है, उसके अनुपात में पैदावार अच्छी नहीं मिलती। इस लेख में मूंग की उन्नत खेती कैसे करें का उल्लेख किया गया है।
मूंग की खेती के लिए जलवायु
मूंग की फसल हर प्रकार के मौसम में उगाई जा सकती है। उत्तर भारत में इसे ग्रीष्म और वर्षा ऋतु में उगाते हैं। दक्षिण भारत में इसे रबी में भी उगाते हैं। ऐसे क्षेत्र जहां 60 से 75 सेंटीमीटर वर्षा होती है, मूंग के लिए उपयुक्त होते हैं। फली बनते और पकते समय वर्षा होने से दाने सड़ जाते हैं एवं काफी हानि होती है। उत्तरी भारत में मूंग को बसंत ऋतु (जायद) में भी उगाते हैं। अच्छे अंकुरण और समुचित बढ़वार हेतु क्रमशः 25 डिग्री तथा 20 से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है।
मूंग की खेती के लिए उपयुक्त भूमि
दोमट भूमि सबसे अधिक उपयुक्त होती है। इसकी खेती मटियार एवं बलुई दोमट में भी की जा सकती है, जिनका पी एच 7.0 से 7.5 हो, इसके लिए उत्तम है। खेत में जल निकास उत्तम होना चाहिये।
मूंग की खेती के लिए बुवाई समय
खरीफ मूंग की बुवाई का उपयुक्त समय जून के द्वितीय पखवाड़े से जुलाई के प्रथम पखवाड़े के मध्य है। बसंतकालीन मूंग को मार्च के प्रथम पखवाड़े में और ग्रीष्मकालीन मूंग को 15 मार्च से 15 अप्रैल तक बोनी कर देना चाहिये। बोनी में विलम्ब होने पर फूल आते समय तापक्रम वृद्धि के कारण फलियां कम बनती हैं या बनती ही नहीं हैं। इससे इसकी पैदावार प्रभावित होती है।
Cette histoire est tirée de l'édition 15th April 2025 de Modern Kheti - Hindi.
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