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मटर की फसल के कीट एवं रोग और उनका नियंत्रण कैसे करें
Modern Kheti - Hindi
|15th December 2024
अच्छी उपज के लिए मटर की फसल के कीट एवं रोग की रोकथाम जरुरी है। मटर की फसल को मुख्य रोग जैसे चूर्णसिता, एसकोकाईटा ब्लाईट, विल्ट, बैक्टीरियल ब्लाईट और भूरा रोग आदि हानी पहुचाते हैं।
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जबकि कीटों में तना बेधक मक्खी, पत्ती सुरंगक और फली बेधक आदि प्रमुख हानिकारक कीट नुकसान पहुंचाते हैं। यदि किसान बन्धु इन सबका नियंत्रण उचित समय पर करें, तो वो मटर की फसल से अपनी इच्छित पैदावार प्राप्त कर सकते है। इस लेख में मटर की फसल के कीट एवं रोग और उनका नियंत्रण कैसे करें, की विस्तृत जानकारी का उल्लेख किया गया है।
मटर की फसल के रोगों का नियंत्रण
चूर्णसिता रोग - रोग के लक्षण पौधे के सभी भागों पर सफेद चूर्ण व बाद में हल्के काले रंग के धब्बे पड़ जाते हैं जिससे मटर की उपज पर काफी बुरा असर पड़ता है।
नियंत्रण के उपाय -
1. पौधे पर रोग के लक्षण देखते ही कैराधीन 50 मिलीलीटर प्रति 100 लीटर पानी) या वैटेवल सल्फर 200 ग्राम प्रति 100 लीटर पानी या बाविस्टीन 50 डब्लू पी या मैविटस्टीन 50 ग्राम प्रति 100 लीटर पानी या बेयलेटॉन 50 ग्राम प्रति 100 लीटर पानी या टापस 50 मिलीलीटर प्रति 100 लीटर पानी का छिड़काव करें। यदि आवश्यक हो तो 10 से 15 दिन बाद पुनः छिड़काव करें।
2. टेबूकानोजोल 0.05 प्रतिशत 50 मिलीलीटर प्रति 100 लीटर पानी या हैक्साकोनाजोल 0.05 प्रतिशत 50 मिलीलीटर प्रति 100 लीटर पानी का 15 से 20 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें।
एसकोकाईटा ब्लाईट - इस रोग के लक्षण प्रभावित पौधे मुरझा जाते हैं। जड़े भूरी हो जाती हैं। पत्तों तथा तनों पर भूरे धब्बे पड़ जाते हैं और अंत में पूरा पौधा मर जाता है।
नियंत्रण के उपाय Cette histoire est tirée de l'édition 15th December 2024 de Modern Kheti - Hindi.
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