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किसानों को उद्यमी बनने की आवश्यकता

Modern Kheti - Hindi

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15th July 2023

मनुष्य की सभी समस्याओं का समाधान मनुष्य के अपने उद्यम में है। उसके दर्द में है। उसकी सोच में है। उसके अपने विश्वास में है। मनुष्य स्वार्थी भी है, परन्तु मनुष्य समूह के लिए चिंता एवं चिंतन भी करता आया है। भारत की गरीबी की समस्या का समाधान भी मनुष्य जाति ने करना है।

- प्यारा सिंह भोगल, डॉ. रमनदीप सिंह, डॉ. खुशदीप धरनी

किसानों को उद्यमी बनने की आवश्यकता

20वीं सदी से 21वीं सदी तक दो आर्थिक प्रबंध विश्व भर में आजमाये गये हैं - (क) पूंजीवादी आर्थिक प्रबंध, (ख) समाजवादी आर्थिक प्रबंध। पूंजीवादी आर्थिक प्रबंध अमीर एवं गरीब के अंतर के सिद्धांत की बुनियाद पर खड़ा होता है। यह प्रबंध यह दावा करता ही नहीं कि पूंजीवादी निज़ाम में अधिकतर लोग गरीब नहीं होंगे। इसके विपरीत समाजवाद का बुनियादी नियम है कि समाज में एकसमानता लाई जा सकती है। सोवियत यूनियन, कम्यूनिस्ट चीन एवं कुछ अन्य समाजवादी देशों में गरीबी एवं बेरोज़गारी खत्म करने के दावे किये गये, परन्तु वह सफल नहीं हुए। परिणाम यह है कि अब सोवियत यूनियन एवं समाजवादी चीन अनेक क्षेत्रों में निजी उद्यम को आजादी दे रहे हैं। निजी उद्यमियों को यह आजादी देना कि आप व्यवसाय में अपना पैसा लगाओ और मुनाफा कमाओ 'बाजार, आर्थिकता' कहलाती है। यही आजादी पूंजीपति निजाम की शुरूआत है। इस प्रबंध के सिद्धांतकार कहते हैं कि जो व्यक्ति उद्यमी है, सुयोग्य है, वह वित्तीय प्रबंध करे, उद्योग लगाये, व्यापार करे, स्वयं भी रोजगार करे, मज़दूरों, अधिकारियों, तकनीकी विशेषज्ञों एवं प्रबंधकी विशेषज्ञों को उनकी योग्यता के अनुसार काम दे, सरकार को टैक्स दे, स्वयं लाभ प्राप्त करे। ऐसा करते हुए यदि वह अरबपति, खरबपति, देश का सबसे बड़ा अमीर व्यक्ति बन जाता है तो यह कोई उलाहने वाली बात नहीं। पहले डॉ. मनमोहन सिंह और अब श्री नरेन्द्र मोदी विदेश एवं सुदेश की कार्पोरेट कंपनियों एवं पूंजीपति घरानों को कह रहे हैं, यद्यपि हमारे देश के खनिज भंडार संभालो, वन काटो, किसानों की भूमि संभालो, कहीं न कहीं पर बड़ा प्लांट लगाओ, फैक्ट्री स्थापित करो, मॉल खड़ा करो, यहां तक कि वह कार्यकार भी संभाल लो, जो सार्वजनिक लाभों के लिए सयुंक्त प्रबंध में होने आवश्यक हैं, जैसे किसानों को कम से कम समर्थन मूल्य देकर अनाज खरीदने का काम फूड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया एवं भिन्न-भिन्न राज्यों के सरकारी एवं अर्ध-सरकारी संस्थान (पनसप, मार्कफैड, सिवल सप्लाई विभाग) करते रहे हैं परन्तु अब यदि मोदी सरकार की इच्छा चलती है तो भारत में किसानों से अनाज खरीदने एवं खपतकारों को बेचने का काम एक बार फिर मंडियों के

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