Bhugol aur Aap - April 2021
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Bhugol Aur Aap (April 2021)
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता व धारा 69ए
दिल्ली की सीमाओं पर नवंबर 2020 से जारी किसान आंदोलनों के बीच सोशल मीडिया पर चलायी जा रही कथित 'प्रोपेगेंडा' व केंद्र सरकार की अति सक्रियता भी चर्चा का विषय बना हुयी है। दूसरे देशों से की जा रही ट्वीट और केंद्र सरकार की नोटिस की वजह से यह मुद्दा और चर्चा में बना रहा। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में 8 फरवरी, 2021 को अपने संबोधन में इसे 'एफडीआई' तक की संज्ञा दे डाली। प्रधानमंत्री के अनुसार यह एफडीआई 'फॉरेन डिस्ट्रक्टिव आईडियोलॉजी' है। आईएए जानें कि पूरा मामला क्या है?
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भारत में कृषि साख
भारत में किसानों का मुद्दा व कृषि कर्ज माफी संवेदनशील रही है। वैसे समय-समय पर भारत सरकार किसानों के लिए अल्पकालिक से लेकर दीर्घकालिक संस्थागत कर्ज तक पहुंचाने के लिए प्रयास करती रही है। चूंकि अनौपचारिक ऋण प्रणाली की तुलना में संस्थागत ऋण अधिक किफायती है, इसलिए इसका सीधा असर किसानों की उत्पादन लागत पर पड़ता है।
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बजट 2021-22 विश्लेषण
केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी, 2021 को वित्त वर्ष 2021-22 के लिए संघीय बजट पेश किया। पहली बार बजट डिजिटल तरीके से पेश किया गया। यहां बजट के परीक्षोपयोगी अंश को विश्लेषणात्मक तरीके से पेश किया गया है।
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टर्मिनोलॉजी
फिएट करेंसीभारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 25 जनवरी, 2021 को कहा कि यह दुनिया के विभिन्न हिस्सों में आभासी (वर्चुअल) मुद्राओं की बढ़ती लोकप्रियता के बीच फिएट मुद्रा (Fiat Currency) के एक डिजिटल संस्करण की संभावना तलाशने पर वह विचार कर रहा है। उल्लेखनीय है कि फिएट करेंसी या फिएट मनी सरकार द्वारा जारी की गई मुद्रा है जो सोने जैसी कमोडिटी द्वारा समर्थित नहीं होती है।
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भारत में चुनाव: विभिन्न मुद्दे
देखा जाए तो चुनाव भारतीय लोकतंत्र की रक्तवाहनियां हैं जो भारत में प्रजातंत्र रूपी रक्त को प्रवाहमय बनाए रखने में मदद करती हैं। यह एक जीवंत प्रणाली है और इसकी जीवंतता बनाए रखने के लिए इसे स्वस्थ रखना भी जरूरी है। इसे स्वस्थ रखने के लिए ही समय-समय पर भारत की निर्वाचन पद्धति में सुधार की मांग की जाती रही है और कई चुनाव सुधार लागू भी किए गए।
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भारत में जल संरक्षण
वर्ष 2019 में अंतरिक्ष डेटा का उपयोग करके भारत में जल की उपलब्धता का पुनर्मूल्यांकन केंद्रीय जल आयोग द्वारा किया गया था। इसके मुताबिक देश के 20 बेसिनों के औसत वार्षिक जल संसाधनों का आकलन 1999.20 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) के रूप में किया गया। भारत में जल संसाधन डेटा को बेसिन-वार बनाए रखा जाता है, न कि राज्यवार।
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भारत में शार्क आबादी व संरक्षण
हाल में 'नेचर' पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि 1970 के पश्चात शार्क और रेज (Rays Fish) की वैश्विक आबादी 70 प्रतिशत कम हो गई है और इसकी वजह है सापेक्षिक मत्स्यन दबाव में 18 गुणा वृद्धि। इस अध्ययन के मताबिक 31 में से 24 शार्क प्रजातियां विलुप्ति के कगार पर हैं।
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डीएनए टेक्नोलॉजी (प्रयोग तथा अनुप्रयोग) नियमन विधेयक
संसद् के आगामी सत्र में डीएनए टेक्नोलॉजी (प्रयोग तथा अनुप्रयोग) नियमन विधेयक' को पेश किया जाना है।
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जल प्रबंधन
मुल्लापेरियार बांध 'रूल कर्व'
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जैव विविधता संरक्षण
सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व वनाग्नि
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अर्थव्यवस्था-डिजिटल इंडिया
न्यू अंब्रेला एंटीटी (एनयूई) भुगतान प्रणाली
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वन्यजीव संरक्षण
मानव-वन्यजीव संघर्ष
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माउंट एवरेस्ट की नई ऊंचाई 8,848.86 मीटर
दिसंबर 2020 में नेपाल और चीन के विदेश मंत्रियों ने संयुक्त रूप से माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई को समुद्र तल से 8,848.86 मीटर घोषित किया जो कि 1954 से चली आ रही प्रमाणिक मान्य ऊंचाई से 86 सेमी अधिक है।
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भारत में मैंग्रोव की महत्ता
मैंग्रोव लवण सह्य वनस्पति है जो नदी एवं नदी-मुहानों (एस्चुअरी) के अंतर-ज्वारीय क्षेत्रों में पायी जाती है। इसे कच्छ वनस्पति भी कहा जाता है। यह वस्तुतः प्रादेशिक वन (टेरेस्ट्रियल फॉरेस्ट) एवं जलीय समुद्री पारितंत्र के बीच अंतराफलक (इंटरफेस) के रूप में कार्य करती हैं।
1 min
पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी
पृथ्वी, जो हमारी सौर प्रणाली में एकमात्र ऐसा ग्रह है जहां जीवन है, की जलवायु हमेशा परिवर्तित होती रही है।
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इक्वेलाइजेशन लेवी विवाद
जनवरी 2021 में अमेरिकी प्रशासन ने भारत द्वारा आरोपित इक्वेलाइजेशन लेवी (Equalisation Levy: EL) समेत विभिन्न देशों द्व रा अपनाई गई या विचाराधीन डिजिटल सेवाओं पर कराधान के खिलाफ अमेरिकी व्यापार अधिनियम 1974 की धारा 301 के तहत जांच शुरू करने की घोषणा की थी। इस जांच के दायरे में भारत के अलावा इटली, तुर्की, ब्रिटेन शामिल हैं।
1 min
समसामयिक मुद्दे एवं घटनाक्रम
विकास एवं पर्यावरण संबंधित अद्यतन व परीक्षा उपयोगी करेंट अफेयर्स संकलन
1 min
भूगोल वार्षिकी 2021
भूगोल वार्षिकी 2021
3 mins
वार्षिकी 2021
विगत एक वर्ष की समसामयिक व पर्यावरणीय घटनाओं एवं मुद्दों का विश्लेषणात्मक संकलन। आगामी सभी परीक्षाओं के लिए उपयोगी
1 min
प्रजाति/नई प्रजाति वार्षिकी 2021
प्रजाति/नई प्रजाति वार्षिकी 2021
1 min
एर्रा माट्टी डिब्बालु जियो-विरासत
विशाखापट्टनम और भीमुनिपट्टनम के बीच समुद्र तट के बीच फैला शानदार एर्रा माट्टी डिब्बालू (Erra Matti Dibbalu) प्रकृति का अद्भुत उपहार है। यह समुद्र तल से अधिकतम 90 मीटर (माध्य समुद्री स्तर) की ऊँचाई वाले निम्न स्तर के टीले, विशाखापट्टनम के उत्तरर-पूर्व में 20 किमी और भीमुनिपट्टनम से 4 किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित है।
1 min
तटीय पारिस्थितिकी तंत्र की बाढ़ से लड़ने की क्षमता
तटीय क्षेत्र कई मानव जनित चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जिनमें जल निकायों का अतिक्रमण भी शामिल है, जो उनकी बाढ़ से टालने की क्षमता को बाधित करता है। मुंबई, चेन्नई और कोच्चि के तटीय शहरों में हाल की बाढ़ इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। भले ही सरकार ने 1991 में तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेड) अधिसूचना जारी की हो, लेकिन इसका क्रियान्वयन एक चुनौती है। कोच्चि में चार लक्जरी अपार्टमेंट परिसरों, जिनका निर्माण सीआरजेड अधिसूचनाओं का उल्लंघन था, को गिराने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का हालिया आदेश एक अपवाद है।
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जलवायु अस्थिरता और भारत में श्रम प्रवासन
जलवायु-प्रेरित प्रवासन ने श्रम प्रशासन के लिए नई उभरती चुनौतियों को सामने रखा है। पहले से मौजूद क्षेत्रीय असमानताएं, मौजूदा गरीबी स्तर, बिखरे हुए और मौजूदा श्रम कानूनों की आंशिक प्रकृति, आदि हमें जलवायु प्रवासियों की कमजोर स्थितियों के और बदतर होने के बारे में सचेत करते हैं।
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भारत में सड़क अवसंरचना
सड़क परिवहन को भारत में अवसंरचना का आधार कहा जा सकता है। इसके कई कारण भी हैं। परिवहन अवसंरचना की अपर्याप्तता से कच्चे माल की आपूर्ति करने तथा तैयार माल की बाजार स्थल तक लाने व ले जाने दोनों ही मामलों में अवरोध उत्पन्न होते हैं।
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जूम वीडियोकॉन्फ्रेंसिंग ऐप पर विवाद
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 16 अप्रैल, 2020 को जूम वीडियोकॉन्फ्रेंसिंग ऐप के इस्तेमाल के बारे में दो पृष्ठों का परामर्श जारी किया। यह परामर्श मंत्रालय के अधीन 'साइबर कोऑर्डिनेशन सेंटर' (साइकॉर्ड) ने जारी किया और 'इंडियन कंप्यूटर इमर्जेंसी रिस्पांस टीम' (सीईआरटी-इन) का हवाला दिया गया।
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भारत में जाति व्यवस्था की प्राचीनता और निरंतरता: एक दलित परिप्रेक्ष्य
हजार वर्षों से अधिक समय से भारत में जाति व्यवस्था क्यों जारी है, यह एक ऐसा सवाल है जो बहुतों को चकित करता है। इसे समझने के लिए हमें अपने अतीत पर ध्यान देना होगा और जानना होगा कि पीढ़ी दर पीढ़ी इसे कैसे हस्तांतरित किया जाता रहा है। ज्यादातर लोग जो इससे इंकार करते हैं, वे व्याख्या करते हैं कि यह केवल विवाह में एक भूमिका निभाती है। तो क्या सजातीय विवाह जाति व्यवस्था के बनाये रखने के लिए एकमात्र सबसे बड़ा कारक नहीं है? इसलिए इस प्रणाली को जीवित रखने वाले कारकों पर फिर से प्रकाश डालने की जरूरत है और यह जानने की भी जरूरत है कि वे कौन से कारक हैं जो आज भी इसे पोषण प्रदान कर रहे हैं? जाति व्यवस्था की अभिव्यक्ति और इससे जुड़ी असमानता और हिंसा काफी व्यापक हैं।
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मध्यम वर्ग-बिना किसी वर्ग का एक वर्ग
यदि कोई एक चीज जो भारत में 'वर्ग' के प्रश्न को चरितार्थ करता है, वह है मध्यम वर्ग का लेबल लगना व इसमें शामिल होने की आकांक्षा। यही अवधारणा मध्यम वर्ग की श्रेणी को एक सर्व-विस्तारवादी बनाता है और कुछ हद तक एक मिश्रित थैला भी। इस उभरा हुआ और विकृत मध्यम वर्ग के परिणामस्वरूप, इसके नीचे के बहुत कम परिभाषित या सीमांकित निम्न या कामकाजी वर्ग को ढक लेने की तथा इससे ऊपर के विशेषाधिकार प्राप्त मलाईदार ऊपरी वर्ग से ध्यान हटाने की प्रवृत्ति रही है। अपनी अस्पष्टता के संदर्भ में भारत में 'वर्ग' प्रश्न की भ्रामक प्रकृति, अंतर-पारस्परिकता के कारण जाति रूपी एक अन्य बदनुमा स्तरीकरण की वजह से जटिल हो जाती है।
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भारत में पंचायती राजः विकास व मुद्दे
हालांकि आधुनिक भारत में पंचायती राज की औपचारिक शुरूआत 2 अक्टूबर, 1959 को मानी जाती है जब भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू ने राजस्थान के नागौर में भारत की प्रथम पंचायती राज प्रणाली का उद्घाटन किया। परंतु स्थानीय निकाय शासन प्रणाली भारत में नई व्यवस्था नहीं है वरन् प्राचीन काल से ही इसकी परंपरा रही है।
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क्यों हमें चमगादड़ को नहीं बल्कि मानव को जिम्मेदार मानना चाहिए?
इस बात की आशंका जतायी जा रही है कि नोवेल कोरोनावायरस का प्राकृतिक मेबजान चमगादड़ है और फिर चमगादड़ से यह सीधे मानव में या किसी अन्य जानवर के माध्यम से मानव में संक्रमित हुआ। फिर भी कई वैज्ञानिक, चमगादड़ से मानव में इस बीमारी के संक्रमण के लिए चमगादड़ के बजाय मानव को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
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भारत में नए रामसर स्थल सूची एवं विवरण
अक्टूबर 2020 की स्थिति के अनुसार भारत में रामसर आद्रभूमि की संख्या 39 है। वर्ष 2019 एवं 2020 में भारत में 13 नए रामसर स्थल घोषित किये गये हैं। यहां नये रामसर स्थलों की सूची दी गई है।
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Bhugol aur Aap Magazine Description:
Editor: IRIS Publication Pvt. Ltd
Categoría: Science
Idioma: Hindi
Frecuencia: Bi-Monthly
The only environment and development magazine in Hindi, Bhugol aur Aap deals with issues ranging from poverty to energy. With up-to-date authentic data, the magazine is being published for over a decade now and has garnered the interest of readers from all over India. Targeted to benefit students the magazine is a must read for all aspiring environmentalists, researchers and exam-oriented young adults.
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