स्वातंत्र्य समर और स्वदेशी विज्ञान
Panchjanya|August 21, 2022
वर्ष 1855 में बंगाल के मुर्शिदाबाद तथा बिहार के भागलपुर जिलों में अंग्रेजों के अत्याचार की शिकार पहाड़िया जनता ने एकजुट होकर उनके विरुद्ध विद्रोह का बिगुल फूंक दिया था। इसे पहाड़िया विद्रोह या पहाड़िया जगड़ा या संथाल हूल कहते हैं। पहाड़िया भाषा में 'जगड़ा' शब्द का शाब्दिक अर्थ है- 'विद्रोह'। यह अंग्रेजों के विरुद्ध प्रथम सशस्त्र जनसंग्राम था।
जयंत सहस्रबुद्धे
स्वातंत्र्य समर और स्वदेशी विज्ञान

1 अक्टूबर 1894 को जनजातीयों को एकत्र कर बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों के विरुद्ध जल, जमीन, जंगल और वनवासी संस्कृति के लिए सशस्त्र आन्दोलन खड़ा किया था। अंतत: उनकी मौत भी कारावास में अंग्रेजों की साजिश से हुई। अपने अथक संघर्ष और वनवासी हितों की रक्षा के लिए प्राण न्योछावर करने के चलते आज संपूर्ण समाज उन्हें भगवान बिरसा मुंडा के रूप में पूजता है। 10 नवंबर, 2021 को भारत सरकार ने 15 नवंबर यानी बिरसा मुंडा की जयंती को 'जनजातीय गौरव दिवस' के रूप में मनाने की घोषणा की।

विहम जानते हैं कि देश में आधुनिक विज्ञान अंग्रेजों के द्वारा अवतरित हुआ । अन्य आक्रमणकर्ताओं और अंग्रेजों के आक्रमण में एक मौलिक अंतर यह था कि अंग्रेजों के पूर्व जितने आक्रमणकर्ता थे, उनके पास विज्ञान नहीं था लेकिन अंग्रेजों के पास विज्ञान था। अंग्रेज मूलरूप से व्यापारी के रूप में भारत आये। आगे चलकर उनकी भूख बढ़ गयी और उन्होंने भारत में राज स्थापित किया।

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