वाणिज्यिक विवादों का निर्णय 1986 अधिनियम के तहत समरी कार्यवाही में नहीं किया जा सकता, लेकिन शिकायतकर्ता परिवादी के पास प्रतिवादी उक्त राशि की वसूली के लिए उचित उपाय सिविल कोर्ट के समक्ष दावा प्रस्तुत करना होगा। इसलिए उक्त शिकायत सुनवाई योग्य नहीं है। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) के फैसले के खिलाफ अपीलकर्ताओं (फर्म के भागीदार के कानूनी उत्तराधिकारी) द्वारा दायर सिविल अपील पर फैसला करते समय सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिखे गए फैसले में उपरोक्त टिप्पणी की। मामला अपीलकर्ता (ओं) द्वारा प्रतिवादी नंबर 1 निवेश राशि का कथित भुगतान न करने से संबंधित प्रतिवादी ने साझेदारी फर्म में लाख रुपये का निवेश किया, जिसमें अपीलकर्ता का पति भागीदार है, प्रतिवादी को रुपए 5 लाख पर 18 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज के साथ 120 महीने मैं राशि का भुगतान करना था । प्रतिवादी नंबर 1 ने निवेशित राशि को समय से पहले जारी करने की मांग की, लेकिन उसे परिपक्वता अवधि तक इंतजार करने के लिए कहा गया। हालांकि, जब परिपक्वता अवधि समाप्त होने के बाद भी राशि वापस नहीं की गई तो उन्होंने उक्त राशि की मांग करते हुए करते हुए उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज की।
Diese Geschichte stammt aus der 17 April 2024-Ausgabe von Rising Indore.
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मधु मिलन चौराहे को सौंदर्यीकरण के नाम पर कर दिया बर्बाद....
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भाजपा-सपा में तेज सोशल मीडिया वार लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में अलग चल रहा है माहौल
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यदि अभियुक्त ने भुगतान कर दिया तो चेक डिसऑनर का मामला शिकायतकर्ता की सहमति के बिना भी निपटाया जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि एक बार जब शिकायतकर्ता को डिसऑनर चेक राशि के खिलाफ आरोपी द्वारा मुआवजा दिया जाता है तो परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 (NI Act) के तहत अपराध के शमन के लिए शिकायतकर्ता की सहमति अनिवार्य नहीं है।
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Ida फाइल ट्रैकिंग सिस्टम की पोल खुली
जून 2023 से गायब हो गई कंपाउंडिंग की फाइल
इंदौर में मतदान में महिलाएं पिछड़ गई
पिछले लोकसभा चुनाव से कम तो विधानसभा चुनाव से बहुत ज्यादा कम रहा मतदान
भाजपा को हो रहा है 65 सीटों का नुकसान
अबकी बार 400 पार के नारे के बावजूद 300 पार करने में भी आ रही है दिक्कत
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अब मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए हो रही है जी तोड़ कोशिशें...
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शाहजा... शहर शाह... मंगलसूत्र... आरक्षण... झूठ की मशीन...। कुछ इस तरह के विशेषणों के इर्द-गिर्द चुनाव सिमटता जा रहा है। पहले चरण में जहां पार्टियों ने अपने घोषणापत्रों के जरिये जनता के मुद्दे उठाए, वहीं चुनावी रथ के तीसरे चरण में पहुंचते ही जुबानी जंग शबाब पर पहुंच गई। इन सबके बीच जनता के मुद्दे दरकिनार हो गए हैं।