अशोकनगर जिले के कदवाया गांव में जब गेहूं की कटी फसल के पीछे जब गर्मी का सूरज छिपना शुरू होता है तो उसी समय वहां ज्योतिरादित्य सिंधिया का कारवां चौपाल पर आकर रुकता है. गुना लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी के लिए दिन की यह आखिरी जनसभा है. उन्होंने दिन में प्रचार की शुरुआत सुबह फैब्रिक और साड़ी के लिए प्रसिद्ध चंदेरी से की थी. जैसे ही वे छोटे से मंच पर चढ़ने लगे वहां तुरही और ढोल बजाने वालों ने जोश से उनका स्वागत किया. बाद में भीड़ को संबोधित करते हुए क्षेत्र के साथ राजपरिवार से अटूट रिश्तों का जिक्र किया, यहां से उनकी दादी विजयराजे और पिता माधवराव सिंधिया सांसद रहे थे. बेशक उनकी अपील भावनात्मक है. इस दौरान उनकी पत्नी प्रियदर्शिनी और पुत्र महाआर्यमन भी क्षेत्र में प्रचार करते हुए नजर आए.
बतौर कांग्रेस प्रत्याशी और चार बार गुना से सांसद रहे सिंधिया 2019 के लोकसभा चुनाव में वे भाजपा के के.पी. सिंह यादव से पराजित हो गए थे. इसके अगले साल भारत में कोविड लॉकडाउन से कुछ दिनों पहले सिंधिया भगवा खेमे में चले गए और 15 महीने पुरानी कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस की प्रदेश सरकार गिरा दी गई. उसी साल ज्योतिरादित्य सिंधिया राज्यसभा के लिए चुने गए और केंद्र में मंत्री पद से नवाजे गए. यहां से जीतना उनके लिए अतीत में हुए अपमान के जख्मों पर मरहम जैसा होगा हालांकि वे खुद ऐसा नहीं मानते हैं.
Diese Geschichte stammt aus der May 15, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
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