घड़ी वह यंत्र है जो संपूर्ण स्वचालित प्रणाली द्वारा किसी न किसी रूप में वर्तमान समय को प्रदर्शित करती है। घड़ियां कई सिद्धान्तों से बनायी जाती हैं। जैसे - जल घड़ी, धूप घड़ी, यांत्रिक घड़ी, इलेक्ट्रॉनिक घड़ी आदि लेकिन आधुनिक घड़ी के आविष्कार का मामला कुछ पेचीदा है। घड़ी की मिनट वाली सुई का आविष्कार स्विट्जरलैंड के जॉस बर्गी ने 1577 में अपने खगोलशास्त्री मित्र के लिए किया।
उनसे पहले जम्नी के न्यूरमबर्ग शहर में पीटर हेलेन ने ऐसी घड़ी बना ली थी जिसे एक जगह से दूरी जगह ले जाया जा सके। जिस तरह हम आज हाथ में घड़ी पहनते हैं वैसी पहली घड़ी पहनने वाले आदमी थे जाने माने फ्रांसीसी गणितज्ञ और दार्शनिक ब्लेज पारकल, ये वही ब्लेज पारकल हैं जिन्हें कैलकुलेटर का आविष्कारक भी माना जाता है। लगभग 1650 के आसपास लोग घडी जेब में रखकर घूमते थे, ब्लगज पास्कल इस रस्सी से इस घड़ी को हथेली में बांध लिया ताकि वो काम करते समय घड़ी देख सकें? उनके कई साथियों ने उनका मजाक भी उड़ाया लेकिन आज हम सब हाथ में घड़ी पहनते हैं।
जल एवं धूप घड़ी
प्राचीन काल में धूप के कारण पड़नेवाली किसी वृक्ष अथवा अन्य स्थिर वस्तु की छाया के द्वारा समय का अनुमान किया जाता था। ऐसी धूप घड़ियों का प्रचलन अत्यंत प्राचीन काल से होता आ रहा है जिनमें आकाश में सूर्य के भ्रमण के कारण किसी पत्थर या लोहे के स्थिर टुकड़े की परछाई की गति में होनेवाले परिवर्तन के द्वारा घड़ी या प्रहर का अनुमान किया जाता था। बदली के दिनों में अथवा रात में समय जानने के लिए जल घड़ी का आविष्कार चीन देशवासियों ने लगभग तीन हजार वर्ष पहले किया था। कालांतर में यह विधि मिस्त्रियों, युनानियों एवं रोमनों को भी ज्ञात हुई। जलघड़ी में दो पात्रों का प्रयोग होता था। एक पात्र में पानी भर दिया जाता या और उसकी तली में छेद कर दिया जाता था। उसमें से थोड़ा-थोड़ा जल नियंत्रित बूंदों के रूप में नीचे रखे हुए दूसरे पात्र में गिरता था। इस पात्र में एकत्र जल की मात्रा नाप कर समय अनुमान किया जाता था। बाद में पानी स्थान पर बालू का प्रयोग होने लगा।
इलेक्ट्रॉनिक घड़ियां
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