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भारत विभाजन और पाकिस्तान के षड्यंत्र

Samay Patrika

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January 2023

"पाकिस्तान के लोग तो वैसे ही हैं, जैसे भारत के। उनके सोचने में ज्यादा फर्क नहीं है। एक नागरिक के रूप में वे सुखी जीवन जीना चाहते हैं। लेकिन पाकिस्तान की सत्ता शुरू से ही जिनके हाथों में आई, वे गहरे भय के शिकार हैं। राजनीतिक जमात और पाकिस्तान की सेना ही वहाँ की सत्ता को अपने-अपने ढंग से चला रहे हैं। वे ऐसा माहौल बनाए हुए हैं कि भारतीय नेताओं ने मन से देश का विभाजन स्वीकार नहीं किया। इसलिए वे पाकिस्तान को टिकने नहीं देंगे और भारत को फिर से 'अखंड भारत' बनाने के प्रयास करेंगे।"

भारत विभाजन और पाकिस्तान के षड्यंत्र

पहले 14 अगस्त सिर्फ एक तारीख थी। अचानक यह दिन एक टीस, त्रासदी, विभीषिका की याद और उससे मिलनेवाले सबक का प्रतीक बन गया है। कारण स्पष्ट है। ज्यादा दिन नहीं हुए, बात 2021 की है। लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि "मेरे प्यारे देशवासियो! अब से हर वर्ष 14 अगस्त को 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के रूप में याद किया जाएगा। जो लोग विभाजन के समय अमानवीय हालात से गुजरे, जिन्होंने अत्याचार सहे, जिन्हें सम्मान के साथ अंतिम संस्कार तक नसीब नहीं हुआ, उन लोगों का हमारी स्मृतियों में जीवित रहना भी उतना ही जरूरी है। आजादी के 75वें स्वतंत्रता दिवस पर विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस का तय होना, ऐसे लोगों को हर भारतवासी की तरफ से आदरपूर्वक श्रद्धांजलि है।"

यह एक बात है। दूसरी यह कि उसी दिन भारत विभाजन की घोषणा से पाकिस्तान अस्तित्व में आया। यह पुस्तक 'भारत विभाजन और पाकिस्तान के षड्यंत्र' अपने ढंग की संभवतः पहली और अकेली है। भारत विभाजन पर इन 75 सालों में करीबकरीब हर साल कोई नई पुस्तक आ जाती है। ज्यादातर पुस्तकें यह बताने के लिए लिखी गई हैं कि भारत विभाजन के कारण क्या थे? अनेक कारण खोजे गए हैं और यह सिलसिला रुका नहीं है। रुके भी तो कैसे? क्योंकि पूरे तथ्य और घटनाक्रम जो दिखते हैं, वे सतह पर हैं, लेकिन बहुत कुछ बातें इतिहास की अँधेरी गुफा में दबी पड़ी हैं। जो कभी कुछ किसी के हाथ लगता है तो वह एक नई पुस्तक से बताने का प्रयास करता है। इस क्रम में यह पुस्तक कहाँ अपना स्थान बनाती है, इसे इसके पाठक तो निर्धारित करेंगे ही, पर मुझे लगता है कि यह पुस्तक सब पर भारी पड़ेगी। मैंने इसे पूरा पढ़ा है। इस आधार पर कह सकता हूँ कि इस पुस्तक के हर अध्याय की सामग्री से पाठक अनुभव करेगा कि इसके तथ्य और कथ्य अपने शीर्षक को हर दृष्टि से सार्थक करते हैं।

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