कानू की उदासी
Champak - Hindi|July Second 2022
बच्चों की कहानी
डा. के. रानी
कानू की उदासी

नीम के पेड़ पर कानू कौआ उदास बैठा था. जब से वह शहर से लौटा था बड़ा बेचैन था. कुछ ही देर में वहां पीकू तोता आया. कानू को उदास बैठा देख कर उस ने पूछा, “कानू, तुम्हारी तबीयत तो ठीक है? इस समय तुम यहां क्या कर रहे हो?”

“मेरी तबीयत ठीक है, लेकिन आज जब मैं शहर से आ रहा था तो समुद्र किनारे का दृश्य बड़ा अजीब था. वहां ढेर सारी मछलियां मरी पड़ी थीं.”

“वाह, तब तो तुम्हारे मजे आ गए होंगे. लगता है बहुत सारी मछलियां खा कर तुम्हारी तबीयत खराब हो गई."

"ऐसी बात नहीं है पीकू मरी मछलियों को देख कर मुझे बहुत दुख हुआ. हम भोजन के लिए मछलियां खाते हैं, लेकिन बेवजह उन्हें मारते नहीं."

“अच्छा, तो यह बात है. मैं समझा ज्यादा खाने की वजह से तुम इस समय यहां पर बैठे सुस्ता रहे हो.”

“उन मछलियों को क्या हुआ होगा पीकू ? इतनी बड़ी संख्या में वे समुद्र किनारे क्यों मरी पड़ी थीं.”

“मैं नहीं जानता. हो सकता है पानी में कोई कैमिकल मिला हो या कोई और बात हो. समुद्र का स्वभाव होता है कि वह अपने अंदर कुछ नहीं रखता और सब चीजें किनारे फेंक देता है."

“लगता है, ये मछलियां कहीं दूर मरी होंगी और उस के बाद वे धुल गईं. मुझे नहीं कि यह तबाही समुद्र में कैसे आई होगी?”

"दुखी मत हो कानू, इस में हम क्या कर सकते हैं? जरूर यह इंसानी आपदा की वजह से हुआ होगा.

"मुझे भी ऐसा ही लगता है. मैं ने कभी इतनी सारी मछलियों को इस तरह समुद्रतट पर मरा नहीं देखा. चलो, इस के बारे में किसी से मालूम करते हैं."

“हमें इस के बारे में कौन बताएगा?”

“कोई तो होगा जिसे इस की जानकारी होगी. कल हम शहर चलेंगे और वहीं जा कर सचाई का पता चलेगा,” कानू बोला.

पीकू ने भी कानू के साथ शहर जाने का मन बना लिया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि मछलियों को क्या हुआ था.

अगले दिन सवेरे वे दोनों समुद्र किनारे पहुंचे. अभी भी वहां बड़ी संख्या में मछलियां पड़ी थीं, लेकिन कानू का मन बासी मछली खाने का नहीं कर रहा था. वे दोनों ऐसे प्राणी की तलाश में थी जो उन्हें मरी मछलियों के बारे में कुछ बता सके.

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